Jamshedpur Protest: सड़क हादसे के बाद ग्रामीणों का हंगामा, भारी वाहनों पर रोक की मांग
जमशेदपुर के कुमीर गांव में सड़क हादसे के बाद ग्रामीणों ने भारी वाहनों पर रोक लगाने की मांग की। जानिए पूरा मामला और प्रशासन की क्या होगी अगली कार्रवाई?

जमशेदपुर के कमलपुर थाना क्षेत्र के कुमीर गांव में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। स्कूल जा रही दो छात्राएं हाईवा की चपेट में आ गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं। इस घटना के बाद गांव के लोग उग्र हो गए और मुख्य सड़क को जाम कर प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
कैसे हुआ हादसा?
कुमीर गांव के निवासी मुचीराम महतो की बेटियां, शेफाली महतो और नेपाली महतो, रोज की तरह अपनी साइकिल से स्कूल जा रही थीं। लेकिन रास्ते में ही एक तेज रफ्तार गिट्टी लदे हाईवा ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे वे सड़क पर गिर गईं। इस हादसे में दोनों बहनों को कमर, सिर और हाथ पर गंभीर चोटें आईं।
स्थानीय लोगों ने तुरंत छात्राओं को पास के कांकीडीह नर्सिंग होम में भर्ती कराया। वहां से उनकी हालत नाजुक देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया।
ग्रामीणों का गुस्सा फूटा, सड़क जाम
घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने मुख्य सड़क को जाम कर दिया। उनका कहना था कि 20 फरवरी को हुई बैठक में तय किया गया था कि स्कूल के समय भारी वाहनों का परिचालन पूरी तरह बंद रहेगा। लेकिन क्रशर मालिकों द्वारा इस नियम का उल्लंघन किया गया, जिससे यह हादसा हुआ।
प्रशासन को सूचना मिलते ही पटमदा के सीओ डॉ. राजेंद्र दास और थाना प्रभारी दीपक ठाकुर तीन बजे मौके पर पहुंचे और जाम हटाने की कोशिश की। लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनकी मांग थी कि जब तक इस सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद नहीं होती, तब तक वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे रहेंगे।
क्या कहता है नियम और प्रशासन?
सड़क सुरक्षा को लेकर कई नियम बनाए गए हैं, लेकिन उनका पालन नहीं किया जाता। राष्ट्रीय स्तर पर भी स्कूलों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में भारी वाहनों के संचालन को प्रतिबंधित करने की सिफारिशें की गई हैं। झारखंड सरकार भी सड़क सुरक्षा के नियमों को लागू करने के लिए बैठकें कर चुकी है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर प्रशासन की लापरवाही से ऐसी घटनाएं सामने आती हैं।
स्थानीय नेताओं का समर्थन
ग्रामीणों को समर्थन देने के लिए मुखिया दीपक कोड़ा, झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष अनिल बास्के, जिला प्रवक्ता सुब्रतो महतो, फनी महतो, श्याम सुंदर महतो, मृत्युंजय महतो और साहेबराम महतो समेत कई स्थानीय नेता भी मौके पर पहुंचे।
अब क्या होगा?
ग्रामीणों ने साफ कहा कि वे अब इस सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही नहीं होने देंगे। उन्होंने प्रशासन से ठोस कार्रवाई की मांग की है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस बार अपनी जिम्मेदारी निभाएगा या फिर यह मामला भी कागज़ों तक ही सीमित रह जाएगा?
यह हादसा सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और नियमों के उल्लंघन का परिणाम है। अगर 20 फरवरी की बैठक में तय नियमों का पालन किया जाता, तो यह हादसा नहीं होता। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या ठोस कदम उठाता है।
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