Jamshedpur Health: एमजीएम अस्पताल की मर्चरी सेवाओं की बदहाली, परिजनों की बढ़ी परेशानी
जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में मर्चरी फ्रिजरों की कमी से परिजन परेशान। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का एक और उदाहरण।
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जमशेदपुर। एमजीएम अस्पताल, जिसे जमशेदपुर का प्रमुख सरकारी चिकित्सा संस्थान माना जाता है, एक बार फिर अपनी अव्यवस्थाओं के कारण चर्चा में है। मानगो छोटा पुल के पास मंगलवार को हुए सड़क हादसे में जवाहरनगर रोड नंबर 13डी के निवासी अख्तर इमाम की मृत्यु हो गई। उनका शव एमजीएम अस्पताल लाया गया, जहां मर्चरी की खस्ताहाल स्थिति ने परिजनों की परेशानी बढ़ा दी।
मर्चरी फ्रिजरों की कमी बनी समस्या
अस्पताल की मर्चरी में कुल छह फ्रिजर हैं, जिनमें से दो लंबे समय से खराब पड़े हैं। शेष चार फ्रिजर पहले से ही शवों से भरे हुए थे। इस कारण, अख्तर इमाम के शव को रखने में परिजनों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। जब परिजनों ने इस स्थिति पर विरोध जताया, तब अस्पताल प्रशासन ने उनके शव को अन्य फ्रिजर में स्थानांतरित किया।
सरकारी अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर सवाल
एमजीएम अस्पताल पर लंबे समय से अव्यवस्थाओं के आरोप लगते रहे हैं। मर्चरी की स्थिति इसका ताजा उदाहरण है। सवाल उठता है कि जब सरकारी अस्पताल के पास पर्याप्त फ्रिजर नहीं हैं, तो आने वाले अन्य शवों को कहां रखा जाएगा? खासकर, जब ज्यादातर लोग निजी सुविधाओं का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं।
इतिहास में भी बदनाम रहा एमजीएम
एमजीएम अस्पताल की बदहाल स्थिति कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी मरीज़ों को बेड की कमी, उपकरणों के खराब होने और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही के कई मामले सामने आ चुके हैं। 2019 में, एक जांच रिपोर्ट ने अस्पताल की प्रशासनिक खामियों को उजागर किया था, लेकिन आज तक इन समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया।
परिजनों का दर्द और अधिकारियों की चुप्पी
अख्तर इमाम के परिजनों ने कहा कि इस दुखद स्थिति में उन्हें अस्पताल की अव्यवस्था से और अधिक मानसिक आघात पहुंचा। उन्होंने सवाल किया कि अगर अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं ही नहीं हैं, तो आम जनता कहां जाएगी? वहीं, इस मामले पर स्वास्थ्य विभाग और एमजीएम के जिम्मेदार अधिकारी अब तक चुप्पी साधे हुए हैं।
क्या होना चाहिए समाधान?
यह जरूरी है कि एमजीएम अस्पताल के मर्चरी फ्रिजरों की संख्या बढ़ाई जाए और खराब फ्रिजरों को तुरंत ठीक किया जाए। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। सरकार और प्रशासन को यह समझना होगा कि अस्पताल की बदहाल स्थिति से न केवल मरीज़ और उनके परिजन, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की साख पर असर पड़ता है।
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