BJP Youth Leader's Warning – भाजपा युवा मोर्चा मंत्री अमित अग्रवाल ने अस्पतालों के प्रबंधन को चेतावनी दी
जमशेदपुर के भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश मंत्री अमित अग्रवाल ने अस्पतालों के व्यवसायीकरण पर कड़ी चेतावनी दी है। 7 दिनों में सुधार न होने पर जनांदोलन की चेतावनी।
जमशेदपुर: भारतीय जनता युवा मोर्चा (भा.ज.यु.मो.) के प्रदेश मंत्री अमित अग्रवाल ने जमशेदपुर के अस्पतालों में हो रही लापरवाही और व्यापारिकता के खिलाफ कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कंपनी प्रबंधन ने अस्पतालों के कामकाज में सुधार नहीं किया, तो जल्द ही जनांदोलन शुरू होगा। उनके अनुसार, शहर के अस्पतालों को गरीबों के इलाज की प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि उन्हें एक व्यापारिक गतिविधि बना देना चाहिए।
जमशेदपुर के अस्पतालों में गंभीर लापरवाही
अमित अग्रवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि शहर की कई कंपनियां अपने निजी अस्पतालों का व्यवसायीकरण कर चुकी हैं, और इन अस्पतालों में इलाज कराने के लिए गरीब और मजबूर लोग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। उनका आरोप है कि इन अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों को इलाज की प्राथमिकता नहीं दी जाती, बल्कि उन्हें अधिक पैसे के लिए प्रताड़ित किया जाता है। यह न केवल आर्थिक शोषण है, बल्कि कंपनियों की मानवीय संवेदनशीलता को भी सवालों के घेरे में डालता है।
उन्होंने बताया कि शहर के प्रमुख निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों और उनके परिजनों के लिए इलाज के खर्चे इतने अधिक होते हैं कि वह आम नागरिक की पहुंच से बाहर हो जाते हैं। यहां तक कि इन अस्पतालों के बेड और केबिन का किराया 3-स्टार होटलों के बराबर होता है, जो गरीबों के लिए अत्यधिक बोझिल साबित होता है।
कंपनियों पर उठाए गंभीर सवाल
अमित अग्रवाल ने यह भी कहा कि यह शहर मजदूरों का है, और यहां की पहचान मजदूरों की कड़ी मेहनत और खून-पसीने से बनी है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति पैसे की कमी के कारण इलाज नहीं करवा पाता और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो यह समाज और इन कंपनियों के लिए एक शर्मनाक बात होगी। उन्होंने कहा कि कंपनियां अपने सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड का उपयोग करके गरीब और लाचार लोगों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएं, ताकि किसी गरीब को इलाज के अभाव में अपनी जान न गंवानी पड़े।
7 दिन का अल्टीमेटम: कार्रवाई नहीं तो जनांदोलन
अग्रवाल ने कहा कि कंपनियों को बयान जारी करने के 7 दिनों के भीतर अस्पतालों की कार्यशैली में सुधार लाना होगा, अन्यथा वे जिला उपायुक्त के माध्यम से कानूनी कार्रवाई और जनांदोलन की चेतावनी देंगे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी एक संगठन का नहीं होगा, बल्कि यह एक जनहित संघर्ष होगा, जिसमें जनता और स्थानीय नेता एकजुट होकर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।
अस्पतालों में सुधार की आवश्यकता
यह स्थिति लंबे समय से जटिल बनी हुई है। जमशेदपुर, जो एक औद्योगिक शहर है और जहां बड़ी संख्या में कंपनियों के कर्मचारी रहते हैं, उन्हें चिकित्सा सुविधाएं मिलने में समस्याएं आती रही हैं। इस शहर में इलाज के लिए पर्याप्त अस्पतालों की कमी नहीं है, लेकिन इन अस्पतालों का उद्देश्य गरीबों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने से कहीं ज्यादा मुनाफा कमाना बन चुका है। ऐसे में आम लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास कम हुआ है।
कंपनियों को जिम्मेदारी का अहसास
अमित अग्रवाल ने यह भी कहा कि कंपनियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। उनके अनुसार, यह शहर मेहनत करने वालों का है, और इन कंपनियों का सामाजिक दायित्व बनता है कि वह स्थानीय समुदाय की भलाई के लिए काम करें, न कि सिर्फ अपना व्यापार बढ़ाने के लिए। अगर यह सुधार नहीं हुआ, तो उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
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