Golmuri Shaheed Smarak: रेजांगला युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि, भारतीय सैनिकों की वीरता को किया याद
गोलमुरी शहीद स्मारक पर रेजांगला युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। जानिए 1962 में हुए इस युद्ध की वीरता और भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस की कहानी।
Golmuri, Jamshedpur: अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने गोलमुरी स्थित शहीद स्मारक पर 1962 के भारत-चीन युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर रेजांगला की लड़ाई को याद करते हुए उन भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस और शौर्य को नमन किया गया जिन्होंने चीनी सैनिकों के खिलाफ अद्वितीय वीरता का प्रदर्शन किया था।
रेजांगला की यह लड़ाई न केवल भारत-चीन युद्ध के इतिहास में एक अहम घटना थी, बल्कि इसे पूरी दुनिया की 8 सबसे भयानक और शौर्यपूर्ण लड़ाइयों में गिना जाता है। इस युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, समारोह में उपस्थित व्यक्तियों ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे पूर्वज दुनिया के सबसे बहादुर योद्धा थे, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी मातृभूमि की रक्षा की।
रेजांगला युद्ध: भारतीय सेना के अदम्य साहस की मिसाल
1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान रेजांगला में एक ऐसा युद्ध लड़ा गया था, जिसने इतिहास में अपनी जगह बना ली। यह लड़ाई लद्दाख में चुशुल के पास हुई थी, जहां भारतीय सैनिकों ने कुमाऊं रेजीमेंट के मेजर शैतान सिंह (परमवीर चक्र विजेता) के नेतृत्व में एक अविस्मरणीय युद्ध लड़ा।
रेजांगला की लड़ाई में भारत की ओर से केवल 120 भारतीय सैनिक थे, जिनके सामने 1300 चीनी सैनिक थे। यह लड़ाई इतनी भयंकर थी कि तीन जेसीओ और 120 जवान मिलकर, 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराने में सफल रहे। इस दौरान 114 भारतीय सैनिक शहीद हो गए, जिनमें एक परमवीर चक्र, आठ वीर चक्र, और अन्य कई सम्मान भी प्राप्त हुए थे।
बर्फीली जंग, बर्फ में लड़ा गया युद्ध
रेजांगला की इस बर्फीली लड़ाई में तापमान -40 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिर गया था। इस युद्ध को लड़ा गया था 18 फीट ऊंचाई पर, जहां सांस लेना भी मुश्किल था। बावजूद इसके, भारतीय सैनिकों ने पूरी मजबूती और वीरता के साथ अपनी मातृभूमि की रक्षा की। यह लड़ाई न केवल भारतीय सेना के पराक्रम का प्रतीक बनी, बल्कि पूरी दुनिया ने भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस को सराहा।
स्मारक पर श्रद्धांजलि और शहीदों की शौर्यगाथा
समारोह में उपस्थित वरुण कुमार और परमहंस यादव जैसे पूर्व सैनिकों ने इस युद्ध को लेकर अपनी यादें साझा कीं। परमहंस यादव ने बताया कि मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी ने "अंतिम सैनिक, अंतिम गोली" की भावना को चरितार्थ करते हुए चीनी सैनिकों से लोहा लिया।
विनय कुमार यादव, अध्यक्ष, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने कहा, "यह वीरता की मिसाल है। हम शहीदों को नमन करते हैं और यह शौर्यगाथा स्कूली बच्चों को बताई जानी चाहिए ताकि युवा पीढ़ी जान सके कि हमारे सैनिक किस तरह से अपनी जान की परवाह किए बिना मातृभूमि की रक्षा करते हैं।"
रेजांगला के वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि
रेजांगला युद्ध की शहादत को याद करते हुए विनय कुमार यादव और अन्य उपस्थित पूर्व सैनिकों ने यह संकल्प लिया कि वे शहीदों के शौर्य को कभी नहीं भूलेंगे। इस मौके पर सत्येंद्र कुमार सिंह, प्रवीण कुमार पांडे, सुखविंदर सिंह, और राकेश कुमार जैसे अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनकी वीरता को सलाम किया।
रेजांगला युद्ध को न केवल भारतीय सैनिकों की वीरता के रूप में याद किया जाएगा, बल्कि यह एक प्रेरणा बनकर आने वाली पीढ़ियों को अपने देश के लिए समर्पित होने की भावना सिखाएगा।
रेजांगला युद्ध ने भारतीय सैनिकों की वीरता, साहस, और समर्पण का वो उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसे कभी भी भूला नहीं जा सकता। गोलमुरी शहीद स्मारक पर इस युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना केवल उनकी वीरता को याद करने का एक तरीका नहीं, बल्कि यह एक वादा भी है कि उनकी शौर्यगाथा हर पीढ़ी तक पहुंचेगी। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद का यह आयोजन इस इतिहास को जीवित रखने के लिए एक अहम कदम है।
"हमारे सैनिकों ने जिस साहस का परिचय दिया, वह सदीयों तक प्रेरणा का स्रोत रहेगा।"
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