Galudih Accident: हाईवा पलटने से मची अफरा-तफरी, ओवरलोडिंग के कारण बढ़े खतरे!

गालूडीह थाना क्षेत्र के डुमकाकोचा गांव के पास एक हाईवा दुर्घटना का शिकार हो गया। ओवरलोडिंग और तेज़ रफ्तार के कारण हादसा बढ़ते खतरे का संकेत है। जानिए इस घटना का पूरा सच।

Feb 12, 2025 - 18:04
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Galudih Accident: हाईवा पलटने से मची अफरा-तफरी, ओवरलोडिंग के कारण बढ़े खतरे!
Galudih Accident: हाईवा पलटने से मची अफरा-तफरी, ओवरलोडिंग के कारण बढ़े खतरे!

गालूडीह थाना क्षेत्र के डुमकाकोचा गांव के पास बुधवार को एक अजीबो-गरीब हादसा हुआ, जब सातगुरूम पुल के नीचे एक पत्थर लदी हाईवा पलट गई। इस हादसे ने ना केवल गांववालों को हैरान किया, बल्कि यह एक गंभीर संकेत भी है, जो ओवरलोडिंग और तेज़ रफ्तार के कारण बढ़ते खतरे को उजागर करता है। घटना के बाद, स्थानीय ग्रामीणों की भीड़ जुट गई, जो दुर्घटना का कारण जानने की कोशिश कर रही थी।

क्या था हादसे का कारण?

हाईवा के चालक ने बताया कि वह ओडिशा से पत्थर लोड कर बंगाल की ओर जा रहा था। अचानक, जैसे ही वह सातगुरूम पुल के पास पहुंचा, एक बाइक चालक ने ओवरटेक करने की कोशिश की। बाइक को बचाने की कोशिश में, चालक ने नियंत्रण खो दिया और हाईवा पुल के नीचे पलट गया। हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या कभी भी दुर्घटना का शिकार होने से बचना संभव है, जब ओवरलोडिंग और अवैध परिवहन की समस्या इतनी गंभीर हो?

हर दिन ऐसे हादसों का खतरा

यह घटना अकेली नहीं है। गालूडीह-नरसिंगपुर रोड पर हर दिन अवैध रूप से बालू और पत्थर से लदे हाइवा, डंपर और ट्रैक्टर गुजरते हैं। ये वाहन अक्सर तेज़ रफ्तार से चलते हैं और इनसे जुड़े हादसों का खतरा हमेशा बना रहता है। अधिकतर मामलों में, इन वाहनों की गति और ओवरलोडिंग के कारण सुरक्षा नियमों की अनदेखी की जाती है, जो खतरनाक साबित हो सकता है।

हालांकि, इन वाहनों पर कोई कड़ी निगरानी और नियंत्रण नहीं है, जिसके कारण यह दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इन अवैध वाहनों के कारण स्थानीय इलाके में सुरक्षा की स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है। प्रशासन की अनदेखी और खनन विभाग की लापरवाही के कारण यह घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

ओवरलोडिंग: एक गंभीर खतरा

हाईवा और डंपर जैसे भारी वाहनों में अवैध रूप से ज्यादा बालू और पत्थर लादने का चलन बढ़ चुका है। इन वाहनों का ओवरलोडिंग न केवल सड़क सुरक्षा के लिए खतरा बनता है, बल्कि यह पर्यावरण और स्थानीय अवसंरचना पर भी दबाव डालता है। ज्यादा वजन होने के कारण इन वाहनों की ब्रेकिंग क्षमता कम हो जाती है, और यह असंतुलित होकर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

स्थानीय प्रशासन की चुप्पी

अवधि से कई सालों से, इस क्षेत्र में अवैध खनन और ओवरलोड वाहनों की समस्या बढ़ती जा रही है। हालांकि खनन विभाग और स्थानीय प्रशासन को इस पर कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। वाहन चालकों के लिए इस तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है। अधिक कमाई के चक्कर में, ओवरलोड वाहन बिना किसी डर के रोड पर दौड़ रहे हैं, जिससे कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

इतिहास में भी ऐसे हादसे

ऐसा नहीं है कि यह पहला हादसा है। पहले भी गालूडीह क्षेत्र में इसी तरह के कई हादसे हो चुके हैं, जहां ओवरलोडिंग और तेज़ रफ्तार के कारण वाहनों के पलटने की घटनाएं घटित हो चुकी हैं। इतिहास गवाह है कि जब तक इन समस्याओं पर सही तरीके से नियंत्रण नहीं लगाया जाता, तब तक इन घटनाओं को रोका नहीं जा सकता।

क्या किया जाए?

यह समय है कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कदम उठाए और सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू करे। ओवरलोडिंग पर रोक लगाने और खनन विभाग को जवाबदेह बनाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके। गालूडीह के लोग सुरक्षा की उम्मीद में प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि यह रास्ता सुरक्षित और दुर्घटनामुक्त हो सके।

यह घटना सिर्फ एक चेतावनी है, और अगर अब भी चेत नहीं लिया गया तो यह सड़कें और भी खतरनाक हो सकती हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।