गढ़वा में आदिवासी सम्मेलन में सत्येंद्रनाथ तिवारी ने लूटी गई जमीन वापस दिलाने की कही बात

गढ़वा जिले के बनुआ गांव में आदिवासी सम्मेलन में पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने 250 आदिवासी परिवारों को लूटी गई जमीन वापस दिलाने की अपनी लड़ाई के बारे में बताया।

Oct 1, 2024 - 20:36
Oct 1, 2024 - 22:36
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गढ़वा में आदिवासी सम्मेलन में सत्येंद्रनाथ तिवारी ने लूटी गई जमीन वापस दिलाने की कही बात
गढ़वा में आदिवासी सम्मेलन में सत्येंद्रनाथ तिवारी ने लूटी गई जमीन वापस दिलाने की कही बात

गढ़वा, 2 अक्टूबर 2024: गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड के बनुआ गांव में आयोजित आदिवासी सम्मेलन में पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि भले ही उन्होंने गढ़वा से चुनाव हारा, लेकिन उन्होंने आदिवासियों और गरीबों के लिए लड़ाई नहीं छोड़ी। उन्होंने 250 आदिवासी परिवारों की लूटी गई जमीन को वापस दिलाने की बात की।

इस सम्मेलन में श्री तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिन लोगों ने गरीब आदिवासियों की जमीन पर कब्जा किया, वे गढ़वा के विधायक और मंत्री के इशारे पर काम कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मिथिलेश कुमार ठाकुर और गिरिनाथ सिंह जैसे नेता आदिवासियों की जमीन को दबंगों के हवाले कर रहे थे।

सत्येंद्रनाथ तिवारी ने कहा, "आज जब हमने उनकी जमीन दबंगों से मुक्त करवाई, तो आदिवासियों के चेहरों पर खुशी थी।" उन्होंने बताया कि जब आदिवासी अपनी जमीन वापस पाने के लिए अधिकारियों से मदद मांगने गए, तो उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। तब वे श्री तिवारी के पास पहुंचे। उन्होंने यह भी बताया कि वे नेताओं से आश्वासन नहीं चाहते थे, बल्कि सीधे उनके गांव जाकर समस्याओं को समझना चाहते थे।

श्री तिवारी ने सामंतवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का वादा किया। उन्होंने मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर से 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपये का हिसाब मांगा। यह वह धन है जो केंद्र सरकार ने हर घर नल जल योजना के लिए दिया था। उन्होंने कहा, "झारखंड इस योजना में काफी पीछे रह गया है।"

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर मंत्री हिसाब नहीं दे सकते, तो उन्हें बनुआ के पहाड़ पर चढ़कर माफी मांगनी चाहिए। इस कार्यक्रम में आदिवासी परिवारों को उनकी जमीन वापस दिलाने की खुशी में आयोजित किया गया था। सभी का स्वागत और अभिनंदन किया गया।

इस सम्मेलन ने यह साबित किया कि आदिवासियों की लड़ाई अब और भी मजबूत हो चुकी है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।