झारखंड विधानसभा चुनाव के बीच ईडी की बड़ी कार्रवाई, आईएएस अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी
झारखंड विधानसभा चुनाव के नामांकन प्रक्रिया के बीच प्रवर्तन निदेशालय ने रांची में छापेमारी कर कई बड़े अधिकारियों के ठिकानों की तलाशी ली। आईएएस विनय चौबे समेत कई अधिकारियों पर गंभीर आरोप।
रांची, 29 अक्टूबर 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया चल रही है और इसी बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को रांची में एक बड़ी छापेमारी की। यह कार्रवाई झारखंड के सीनियर आईएएस अधिकारी विनय चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह और अन्य संबंधित अधिकारियों के ठिकानों पर की गई। बताया जा रहा है कि ईडी ने सुबह से ही कई जगहों पर छानबीन शुरू कर दी, जिसमें इन अधिकारियों के रिश्तेदार और चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के कार्यालय भी शामिल हैं।
यह मामला झारखंड और छत्तीसगढ़ में शराब सिंडिकेट से जुड़ा है। छत्तीसगढ़ की एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने पहले ही इस शराब सिंडिकेट के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। एसीबी के अनुसार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में कुछ आईएएस अधिकारियों और अन्य उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों ने शराब कारोबार की नीति में फेरबदल कर नियम बनाए ताकि ये सिंडिकेट फायदा उठा सके।
एफआईआर के अनुसार, इस मामले में झारखंड के तत्कालीन उत्पाद सचिव आईएएस विनय चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और छत्तीसगढ़ के आईएएस अनिल टुटेजा समेत कई अन्य लोग शामिल हैं। इन अधिकारियों ने 2022 में झारखंड में शराब कारोबार को बढ़ावा देने के लिए नियम बनाए थे। इसमें झारखंड की शराब सप्लाई और प्लेसमेंट एजेंसियों की निविदा शर्तों में बदलाव कर 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त रखी गई थी।
इसके अलावा, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट नियुक्त किया गया और इसके लिए उन्हें 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। प्राथमिकी के अनुसार, इस रकम का भी इस्तेमाल सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने में किया गया।
प्रवर्तन निदेशालय की यह छापेमारी चुनावी माहौल के बीच हुई है, जिससे झारखंड की राजनीति में हलचल मच गई है। इस छापेमारी के बाद से कई बड़े अधिकारी और उनके करीबी लोग ईडी की रडार पर आ गए हैं। ईडी के सूत्रों का कहना है कि इन अधिकारियों पर नियमों का गलत इस्तेमाल कर निजी लाभ कमाने के आरोप हैं।
झारखंड में इस समय विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में ईडी की इस कार्रवाई से चुनावी माहौल और गरमा गया है। राज्य में भ्रष्टाचार और नियमों के गलत इस्तेमाल को लेकर विरोधी पार्टियां भी इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साध रही हैं।
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