East Singhbhum Education Crisis : बच्चों को शिक्षा से वंचित करने वाली ये भयावह समस्या!

पोचाखाली गांव में आंगनबाड़ी केंद्र की कमी से 22 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। जानें इस गंभीर समस्या और इसके समाधान की दिशा।

Jan 6, 2025 - 09:59
 0
East Singhbhum Education Crisis : बच्चों को शिक्षा से वंचित करने वाली ये भयावह समस्या!
East Singhbhum: बच्चों को शिक्षा से वंचित करने वाली ये भयावह समस्या!

झारखंड के बहरागोड़ा प्रखंड के पोचाखाली गांव में एक बेहद गंभीर समस्या सामने आई है, जो न केवल शिक्षा बल्कि बच्चों के भविष्य से भी जुड़ी हुई है। यहां के 22 बच्चे, जिनका अभी तक शिक्षा का कोई सुनहरा भविष्य नहीं बन सका, आंगनबाड़ी केंद्र से वंचित हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह समस्या क्यों उत्पन्न हुई और इसके समाधान के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? जानिए इस दर्दनाक स्थिति की पूरी कहानी!

आंगनबाड़ी केंद्र का न होना बड़ा कारण
पोचाखाली गांव में आंगनबाड़ी केंद्र की अनुपस्थिति के कारण बच्चों को बुनियादी शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है। यह आंगनबाड़ी केंद्र गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर दूधकुंडी में स्थित है, जो बच्चों के लिए एक बड़ा रास्ता और एक गंभीर समस्या बन चुका है। लेकिन यहां की स्थिति और भी ज्यादा जटिल तब हो जाती है जब यह गांव एलिफेंट कॉरिडोर में आता है। हाथी के भय के कारण यहां के अभिभावक अपने बच्चों को जंगल के रास्ते पर नहीं भेजते, जिससे बच्चे बेसिक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

आखिरकार, किसके लिए हो रही है यह अनदेखी?
इस समस्या से जूझते हुए गांव के लोग कई सालों से आंगनबाड़ी केंद्र की मांग कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। एक ओर जहां बच्चों के भविष्य के लिए इसे आवश्यक बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह मांग अब भी अनसुनी है। गांव के लोग यह मानते हैं कि अगर आंगनबाड़ी केंद्र गांव में खुल जाए, तो बच्चों को शिक्षा का मौका मिल सकता है और यह उनकी जिंदगी बदल सकता है।

निजी प्रयासों से आंगनबाड़ी की शुरुआत
गांव के लोगों ने बच्चों की शिक्षा के लिए एक निजी स्तर पर आंगनबाड़ी केंद्र की शुरुआत की थी। यहां 25 से 28 बच्चे पढ़ने आते थे और गांववाले खुद चंदा इकट्ठा कर सेविकाओं को मानदेय देते थे। लेकिन कोरोना काल के दौरान व्यवस्था में बदलाव आने के कारण यह केंद्र बंद हो गया। अब इन बच्चों को 6 साल की उम्र के बाद ही स्कूल में भर्ती किया जाता है, जो कि एक खतरनाक और गंभीर स्थिति है।

अभिभावकों की चिंता
ग्राम प्रधान अनुपा हांसदा और अन्य ग्रामीणों जैसे मुचीराम हांसदा, देवेंद्र बास्के, गोविंद मांडी, और कारिया मुर्मू का कहना है कि इस गांव में 35 परिवार रहते हैं और वे सब आंगनबाड़ी केंद्र के लिए आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि गांव जंगल से घिरा हुआ है और बच्चों को शिक्षा से वंचित रखकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

मुखिया की चिंता और समाधान की दिशा
मुखिया पानसोरी हांसदा ने भी इस समस्या की गंभीरता को स्वीकार किया और कहा कि यहां के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र तक पहुंचने में डर का सामना करना पड़ता है, खासकर हाथी के डर के कारण। उनका कहना है कि इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन को शीघ्र ही कदम उठाने चाहिए। वे इस मुद्दे को अधिकारियों के पास ले जाने का वादा करते हैं, ताकि इस गांव के बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।