दुर्ग: वीणापाणि साहित्य समिति, दुर्ग द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस और सम्मान समारोह का 25वां आयोजन भव्य तरीके से संपन्न हुआ। यह ऐतिहासिक आयोजन 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद से लगातार हर वर्ष आयोजित किया जाता है और इस बार इसकी विशेष भव्यता देखने को मिली। समारोह में छत्तीसगढ़ की अनूठी साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने वाले जाने-माने साहित्यकार और कवियों का सम्मान किया गया, जिनमें वरिष्ठ कवि श्री सीताराम साहू "श्याम" और हिन्दी साहित्य भारती के अध्यक्ष श्री बलदाऊ राम साहू शामिल थे।
समारोह की प्रमुख झलकियां
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार और कवि श्री सीताराम साहू "श्याम" ने की, जबकि दुर्ग शहर के विधायक श्री गजेंद्र यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में राज्य पेंशनर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री बी.के. वर्मा और अविरल समग्र विकास एवं जनकल्याण समिति के अध्यक्ष श्री अखिलेश शर्मा शामिल थे। मुख्य वक्ता के रूप में हिन्दी साहित्य भारती के अध्यक्ष श्री बलदाऊ राम साहू ने "छत्तीसगढ़ की संस्कृति, संस्कार एवं परंपरा" विषय पर व्याख्यान दिया, जो श्रोताओं के बीच छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक जड़ों और गौरवपूर्ण परंपराओं को रेखांकित करने वाला रहा।
वीणापाणि साहित्य समिति के अध्यक्ष श्री नरेंद्र देवांगन ने जानकारी दी कि समिति ने राज्य स्थापना की पूर्व संध्या से ही यह आयोजन प्रतिवर्ष करना शुरू किया था और इस बार के आयोजन की विशेषता यह रही कि इसमें समाज के विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तित्वों का सम्मान किया गया।
कवियों ने बांधा समां
समारोह में कई जाने-माने कवियों ने अपनी भावनाओं को काव्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। अध्यक्षता कर रहे श्री सीताराम साहूजी ने अपनी प्रसिद्ध रचनाओं "बूझो बूझो गोरखना अमृत वाणी" और "बेटी मया के खदान होथे" का पाठ कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इन रचनाओं ने श्रोताओं को छत्तीसगढ़ की माटी और पारिवारिक मूल्यों के प्रति एक गहरा लगाव महसूस कराया।
समिति के उपाध्यक्ष श्री विजय गुप्ता, महासचिव श्री अनूप दुबे और कोषाध्यक्ष श्री हर्ष साहू के साथ ही कई अन्य कवियों ने भी अपने कव्यपाठ से कार्यक्रम को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। श्रीमती निशा साहू, डॉ. संजय दानी, और श्रीमती बीना रागी जैसे कवियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी समृद्ध बना दिया।
सम्मानित हुए साहित्य और संस्कृति के दिग्गज
इस समारोह में वरिष्ठ कवि और साहित्यकार श्री सीताराम साहू "श्याम" तथा हिन्दी साहित्य भारती के अध्यक्ष श्री बलदाऊ राम साहू का विशेष सम्मान किया गया। दोनों साहित्यकारों ने छत्तीसगढ़ की साहित्यिक यात्रा में योगदान दिया है और अपने काव्य एवं साहित्यिक योगदान से नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति का संक्षिप्त इतिहास
छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवंबर 2000 को हुआ था, और इसके साथ ही यहां की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलने लगी। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में आदिवासी नृत्य, कला, संगीत, और भाषा का विशेष महत्व है। "वीणापाणि साहित्य समिति" जैसे आयोजन इस धरोहर को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
फुलझड़ी से मनाया गया खुशी का इज़हार
समारोह का समापन एक भावुक और उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ, जब सभी कवियों और अतिथियों ने मिलकर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की खुशियों का इज़हार किया। राज्य के 25वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में फुलझड़ी जलाकर और रंग-बिरंगी रोशनी से माहौल को खुशनुमा बना दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन और समापन
समारोह का कुशल संचालन समिति के उपाध्यक्ष श्री यशवंत सूर्यवंशी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन श्री घनश्याम सोनी ने किया। समारोह में राज्य पेंशनर एसोसिएशन, समर्पण मानस महिला मंडली, अविरल समग्र विकास एवं जनकल्याण समिति और गणेशोत्सव समिति के सदस्यगण सहित सैकड़ों की संख्या में श्रोता उपस्थित थे, जो इस आयोजन का हिस्सा बनकर गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।
यह समारोह न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने का एक माध्यम था, बल्कि यह संदेश भी था कि राज्य की अस्मिता और गौरव को नई पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है। इस 25वें आयोजन ने न सिर्फ पुरानी परंपराओं को सहेजने का कार्य किया बल्कि राज्य के गौरव को भी उच्चतम स्तर पर पहुंचाया।