बारिश - सुनीता अग्रवाल पिंकी

बारिश - सुनीता अग्रवाल पिंकी , राँची (झारखंड)

Jul 25, 2024 - 13:41
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बारिश - सुनीता अग्रवाल पिंकी

बारिश

बरसात का आया मौसम
चलो फिर कहीं चलते है।

फ़ुर्सत नहीं है फिर भी तो
आओ न फिर मिलते है।

बादलों ने भी ठानी बरसने की
देखो न रिमझिम बूँदे गिर रही।

सुहाना हुआ समाँ तो क्यूँ न
आज बारिश में भीगते है।

क्यूँ लगाए बातों को दिलों से
ग़मों-रंज को भूलते है।

आया बरख़ा रानी झूमती
चलो स्वागत इसका करते है।

उलझे उलझे से क्यूँ रहना
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में।

भूल गए थे जो नादानियाँ
फिर से नादान आज बनते है।

जल्दी न करना जाने की
शाम तलक बैठते है।

अनदेखा कर ख़ामीयों को
ज़िंदादिली कुछ करते है।

तो क्यूँ न निहारें ज़िंदगी को 
और थोड़ा क़रीब से।

निकाल कर कुछ पल फ़ुरसत के
बारिश के मौसम में     खिलते है।

सुनीता अग्रवाल

राँची (झारखंड)

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।