Jamshedpur teenager suicide : नाबालिग की संदिग्ध हालात में आत्महत्या, पुलिस ने शुरू की जांच
जमशेदपुर के परसुडीह में 14 वर्षीय किशोरी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की। आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं, पुलिस जांच में जुटी। जानें पूरी घटना की डिटेल्स।
जमशेदपुर: परसुडीह थाना क्षेत्र के हलुदबनी में 14 वर्षीय किशोरी की फांसी से लटकी लाश मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। मंगलवार सुबह 4 बजे यह नाबालिग घर के एक कमरे में गमछे के सहारे फांसी पर झूलती पाई गई। सूचना मिलने पर परिवार के लोग स्तब्ध रह गए और तुरंत ही शव को उतारकर पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और जांच शुरू कर दी है।
घटना का संक्षिप्त विवरण
यह किशोरी मूल रूप से सरायकेला जिले की रहने वाली थी और परसुडीह में अपनी बड़ी मां के साथ रहकर पढ़ाई कर रही थी। वह सातवीं कक्षा की छात्रा थी और अपनी पढ़ाई के लिए जमशेदपुर में रह रही थी। परिजनों के अनुसार, यह पहली बार नहीं था जब उसने आत्महत्या का प्रयास किया था। दो महीने पहले भी उसने खुदकुशी करने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय उसे समय पर रोक लिया गया था।
सोमवार की रात लड़की ने अपने परिवार के साथ भोजन किया और फिर सभी अपने-अपने कमरों में सोने चले गए। रात करीब 1 बजे तक परिवार ने उसे अपने कमरे में देखा था। हालांकि, सुबह 4 बजे परिवार को उसकी मौत की जानकारी मिली जब उसका शव घर के बाहर बने एक कमरे में फांसी पर झूलता पाया गया।
क्या है पुलिस का कहना?
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शुरुआती जांच शुरू कर दी है, लेकिन आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस के मुताबिक, घटनास्थल पर किसी तरह के सुसाइड नोट का पता नहीं चला है, जिससे कारणों की पुष्टि नहीं हो सकी है। अब पुलिस परिजनों और आसपास के लोगों से पूछताछ कर रही है और यह जानने का प्रयास कर रही है कि आखिर वह किस वजह से इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर हुई।
किशोरी के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
इस घटना ने किशोरी के मानसिक स्वास्थ्य पर भी सवाल उठाए हैं। दो महीने पहले भी आत्महत्या का प्रयास करना और फिर इस बार सफल हो जाना, यह दर्शाता है कि नाबालिग मानसिक रूप से किसी तरह की परेशानी में हो सकती थी। यह घटना समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता की जरूरत को भी रेखांकित करती है, खासकर नाबालिगों के मानसिक स्वास्थ्य के मामले में।
समाज में आत्महत्या के बढ़ते मामले
भारत में किशोरों में आत्महत्या के मामलों की संख्या चिंताजनक है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बढ़ते तनाव, सामाजिक दबाव, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और पारिवारिक समस्याओं के चलते कई नाबालिग आत्महत्या का रास्ता चुनते हैं। इस मामले में भी पुलिस आत्महत्या के संभावित कारणों को समझने की कोशिश कर रही है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके।
परिवार के बयान और घटना का असर
परिवार ने पुलिस को जानकारी दी कि नाबालिग दो महीने पहले भी खुदकुशी का प्रयास कर चुकी थी। लेकिन उस समय उसके प्रयास को विफल कर दिया गया था। इस बार भी परिवार के लोगों को उसकी मानसिक स्थिति के बारे में चिंता थी, लेकिन इतनी बड़ी घटना हो जाएगी, इसका अंदाजा किसी को नहीं था।
पुलिस की जांच के बाद ही इस मामले की सच्चाई सामने आ पाएगी, लेकिन यह घटना कई सवाल खड़े करती है। नाबालिगों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति समाज और परिवारों की जागरूकता बेहद जरूरी है। जमशेदपुर के इस दुखद मामले ने फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या समाज के तौर पर हम अपने नाबालिगों की मानसिक और भावनात्मक आवश्यकताओं को समझ पा रहे हैं?
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