Deoghar Baba Mandir Controversy: बाबा मंदिर के गर्भगृह में कथित छेड़छाड़, पुरोहितों में आक्रोश
देवघर बाबा बैद्यनाथ धाम के गर्भगृह में शिवलिंग की पौराणिकता से छेड़छाड़ का आरोप। पुरोहित समाज ने जताई आपत्ति, जानें पूरा मामला।
देवघर, झारखंड: बाबा बैद्यनाथ धाम, जिसे श्रद्धालु शिव की बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक मानते हैं, आज विवादों के घेरे में है। मंदिर के गर्भगृह और शिवलिंग की पौराणिकता से छेड़छाड़ के आरोपों ने पूरे तीर्थ क्षेत्र को उबाल पर ला दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है।
क्या है पूरा मामला?
शनिवार को बाबा मंदिर के गर्भगृह को विशेष सफाई के नाम पर दोपहर 3 बजे बंद कर दिया गया। इस दौरान, श्रद्धालुओं को यह जानकारी दी गई कि गर्भगृह में मरम्मत कार्य हो रहा है। जब रविवार को गर्भगृह दोबारा खोला गया, तो श्रद्धालुओं ने शिवलिंग का बदला हुआ स्वरूप देखा। शिवलिंग पर सीमेंट जैसा लेप लगा हुआ था, जिसे देखकर चर्चा तेज हो गई कि यह पौराणिकता के साथ छेड़छाड़ है।
पुरोहितों का क्या कहना है?
मंदिर के तीर्थ-पुरोहित और पंडा समाज ने इसे धर्म पर आघात बताया। उनका आरोप है कि गर्भगृह में मरम्मत कार्य से पहले न तो सरदार पंडा से और न ही पंडा धर्मरक्षिणी सभा से अनुमति ली गई।
डॉ. सुरेश भारद्वाज, अध्यक्ष, पंडा धर्मरक्षिणी सभा ने कहा, "गर्भगृह में बिना पुरोहित समाज की स्वीकृति के कोई कार्य करना कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। मंदिर प्रशासन और संबंधित अधिकारी दोषी हैं।"
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
बाबा बैद्यनाथ धाम का इतिहास सदियों पुराना है। माना जाता है कि रावण ने शिवलिंग को अपने राज्य लंका ले जाने के लिए यहां स्थापित किया था। यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। पौराणिकता और संरचना में किसी भी तरह की छेड़छाड़ को स्थानीय समाज सीधे धर्म का उल्लंघन मानता है।
शिवलिंग पर क्यों हुआ विवाद?
मंदिर के गर्भगृह में मरम्मत के नाम पर शिवलिंग पर लेप चढ़ाने और टूटे हुए टाइल्स बदलने की जानकारी सामने आई है। यह कार्य बिना पुरोहित समाज की स्वीकृति के किया गया, जो कि झारखंड हाई कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है। कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि मंदिर प्रशासन को किसी भी संरचनात्मक बदलाव के लिए सरदार पंडा और पंडा धर्मरक्षिणी सभा से सहमति लेनी होगी।
सवालों के घेरे में मंदिर प्रशासन
श्रीश्री गुलाबनंद ओझा, मंदिर महंत और सरदार पंडा ने कहा, "अगर यह कार्य बिना अनुमति के हुआ है, तो इसे 24 घंटे के भीतर हटाया जाए। दोषी कर्मचारियों को न केवल निलंबित, बल्कि बर्खास्त किया जाना चाहिए।"
वहीं, अखिल भारतीय पुरोहित महासभा के दुर्लभ मिश्र ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
सोशल मीडिया का प्रभाव
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों ने इस विवाद को और हवा दी है। श्रद्धालु और स्थानीय लोग इसे पौराणिकता के अपमान के रूप में देख रहे हैं। इससे देवघर का धार्मिक और पर्यटन महत्व भी प्रभावित हो सकता है।
क्या हो सकते हैं नतीजे?
- जांच की मांग: पुरोहित समाज ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
- कानूनी कार्रवाई: कोर्ट के आदेश का उल्लंघन साबित होने पर मंदिर प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
- धार्मिक उथल-पुथल: श्रद्धालुओं के बीच विश्वास का संकट पैदा हो सकता है।
बाबा बैद्यनाथ धाम जैसे पवित्र स्थल की पौराणिकता से छेड़छाड़ न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती है, बल्कि कानून का उल्लंघन भी है। पुरोहित समाज और प्रशासन को मिलकर इस विवाद का समाधान निकालना होगा ताकि श्रद्धालुओं का विश्वास बहाल रहे।
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