Deoghar :Deoghar हवाई अड्डे पर सुरक्षा उल्लंघन: भाजपा सांसदों के खिलाफ एफआईआर रद्द करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा उल्लंघन के मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई।

Nov 28, 2024 - 11:16
 0
Deoghar :Deoghar हवाई अड्डे पर सुरक्षा उल्लंघन: भाजपा सांसदों के खिलाफ एफआईआर रद्द करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
Deoghar, BJP, Supreme Court, Jharkhand Government, Nishikant Dubey, Manoj Tiwari, FIR, Security Violation, Legal Battle, Air Traffic Control

देवघर, झारखंड: देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा उल्लंघन के मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ एफआईआर रद्द करने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में दोनों सांसदों को नोटिस भेजा और राज्य सरकार से कुछ विशेष बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने को कहा।

मामले का इतिहास

सितंबर 2022 में देवघर हवाई अड्डे पर एक विवाद सामने आया था जब सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर आरोप लगा कि उन्होंने सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया। साथ ही, आरोप था कि उन्होंने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को एक निजी विमान को उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए धमकी दी और दबाव डाला। इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए और पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना।

हाईकोर्ट का निर्णय और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया

झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों सांसदों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था। इसके बाद, राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट का निर्णय सुरक्षा नियमों और कानूनों के खिलाफ था, और इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में मामला

सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने बुधवार को राज्य सरकार की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए सांसदों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से विस्तृत विवरण मांगा ताकि न्यायालय मामले की गंभीरता को समझ सके और उचित निर्णय ले सके।

सुरक्षा नियमों की गंभीरता

देवघर हवाई अड्डा, जो झारखंड का एक प्रमुख हवाई अड्डा है, सुरक्षा नियमों के लिए जाना जाता है। ऐसे में, किसी भी सुरक्षा उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाता है। इस मामले ने सुरक्षा व्यवस्था और कानून के तहत नेताओं की जिम्मेदारियों पर एक बार फिर से सवाल उठाए हैं।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

यह मामला सिर्फ कानूनी प्रक्रिया से संबंधित नहीं है, बल्कि इससे राजनीतिक और सामाजिक संदेश भी जुड़े हुए हैं। भाजपा सांसदों की स्थिति और राज्य सरकार की पहल ने इस मामले को और अधिक दिलचस्प बना दिया है। जनता और राजनीतिक विश्लेषक इस मामले की सख्त निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि यह चुनावी माहौल में भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

आगे की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई में दोनों पक्षों से प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर अदालत निर्णय लेगी। इस मामले की कानूनी प्रक्रिया को लेकर सभी की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।

देवघर के इस मामले ने राज्य और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक और कानूनी संबंधों को भी एक नई दिशा दी है। इस मामले के परिणाम से यह तय होगा कि सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के मामलों में कैसे कार्रवाई की जाती है और क्या इसमें नेताओं की भागीदारी के मामले में विशेष प्रावधान होंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow