Chakulian Tiger Caught: ओड़िशा से भागी बाघिन को बंगाल के बांकुड़ा में पकड़ा, ग्रामीणों में खुशी की लहर

ओड़िशा से झारखंड होते हुए बंगाल तक पहुंची बाघिन को वन विभाग ने आखिरकार पकड़ लिया। जानें कैसे वन विभाग ने बाघिन को ट्रैंकुलाइज़र से बेहोश करके उसे सुरक्षित पकड़ा और ग्रामीणों को मिली राहत।

Dec 29, 2024 - 20:38
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Chakulian Tiger Caught: ओड़िशा से भागी बाघिन को बंगाल के बांकुड़ा में पकड़ा, ग्रामीणों में खुशी की लहर
Chakulian Tiger Caught: ओड़िशा से भागी बाघिन को बंगाल के बांकुड़ा में पकड़ा, ग्रामीणों में खुशी की लहर

झारखंड और बंगाल के ग्रामीणों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। ओड़िशा के जंगलों से भागी एक बाघिन ने झारखंड के गुड़ाबांदा प्रखंड और चाकुलिया होते हुए बंगाल के बांकुड़ा जिले के रानीबांध जंगल में कदम रखा। यह बाघिन, जिसे "जीनत" नाम से पहचाना जाता है, अपने विचरण से इन दोनों राज्यों के ग्रामीणों में भय का माहौल बना चुकी थी।

बाघिन का रास्ता और ग्रामीणों का भय

ओड़िशा से बाघिन के भागने के बाद, झारखंड और बंगाल के ग्रामीण इलाके बुरी तरह से प्रभावित हो गए थे। कई लोग अपने खेतों में काम करने और जंगलों में जाने से डरने लगे थे, क्योंकि बाघिन के आसपास दिखने से पशु और मानव दोनों की सुरक्षा को खतरा था। इस भय के कारण वन विभाग ने बाघिन को पकड़ने के लिए पूरी टीम को सक्रिय किया और इसकी तलाश शुरू की।

बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग की मशक्कत

वन विभाग की टीम ने बाघिन की खोज में ओड़िशा से लेकर झारखंड और बंगाल तक की यात्रा की। बाघिन के रास्ते का अनुमान लगाकर वन विभाग की टीम पश्चिम बंगाल और ओड़िशा के अधिकारियों के साथ मिलकर बाघिन के पीछे-पीछे चल रही थी।

रविवार को, जब बाघिन को बांकुड़ा जिले के रानीबांध जंगल में पाया गया, वन विभाग ने उसे ट्रैंकुलाइज़र गन से बेहोश किया। इसके बाद, बाघिन को पकड़कर पिंजरे में बंद किया गया और फिर उसे सुरक्षित तरीके से ओड़िशा वापस ले जाया गया।

बेहोश होने के बाद बाघिन की देखरेख

बाघिन को जब बेहोश किया गया, तब विभाग के वेटनरी डॉक्टर ने उसकी सेहत की निगरानी करना शुरू किया। बाघिन के स्वस्थ होने तक उसे पूरी देखरेख में रखा गया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघिन को जल्द ही उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया जाएगा, लेकिन अभी तक उसे पूरी तरह से स्वस्थ करने का प्रयास किया जा रहा है।

ग्रामीणों में राहत की लहर

जैसे ही बाघिन को पकड़ने की खबर गांवों में पहुंची, वहां खुशी की लहर दौड़ पड़ी। चाकुलिया, बांकुड़ा, और आसपास के क्षेत्रों के लोग अब राहत की सांस ले रहे हैं। बाघिन के आतंक से मुक्ति मिलने के बाद, स्थानीय लोग अब पहले की तरह अपने काम पर लौटने में सक्षम हो पाए हैं।

ग्रामीणों का मानना था कि बाघिन की उपस्थिति से उनके लिए खतरा था, खासकर उनके खेतों और घरेलू जानवरों के लिए। अब, बाघिन के पकड़े जाने के बाद, वे निश्चिंत हैं और वापस अपने दैनिक जीवन में लौटने के लिए तैयार हैं।

वन विभाग की सफलता और भविष्य की चुनौतियाँ

वन विभाग ने इस घटना के बाद एक बार फिर साबित कर दिया कि वे जंगली जीवों की सुरक्षा और मानव सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखते हुए कड़ी मेहनत करते हैं। बाघिन का पकड़ना एक बड़ी चुनौती थी, और इसमें वन विभाग की टीम की कड़ी मेहनत और समर्पण की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

अब वन विभाग के अधिकारियों ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस प्रकार की घटनाओं को भविष्य में रोका जाए और बाघों और अन्य जंगली जानवरों के मानव-आवास में आने के कारणों को भी समझा जाए। साथ ही, वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए निरंतर निगरानी बनाए रखना भी आवश्यक होगा।

यह घटना झारखंड और बंगाल के जंगलों में बाघिन के विचरण से जुड़ी कई चिंताओं का समाधान करने वाली साबित हुई है। वन विभाग की टीम ने पूरी तरह से समर्पित होकर बाघिन को पकड़ा और स्थानीय समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की। इस घटना से यह भी साबित होता है कि वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास और जागरूकता आवश्यक है।

अब यह देखना होगा कि वन विभाग भविष्य में इस प्रकार के संकटों से निपटने के लिए क्या कदम उठाता है, ताकि जंगली जीवों और मानवों के बीच संतुलन बना रहे।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।