Baharagora Facilities: बस पड़ाव पर यात्री सुविधाओं का टोटा, शहीद चौक पर इंतजार है बदलाव का
बहरागोड़ा के बांसदा चौक पर यात्री सुविधाओं की भारी कमी। जानें कैसे शहीद गणेश हांसदा चौक पर यात्रियों को धूप और बारिश में पेड़ों के नीचे इंतजार करना पड़ता है।
बहरागोड़ा: बहरागोड़ा प्रखंड के मुटूरखाम पंचायत में एनएच-18 के किनारे स्थित बांसदा चौक, जिसे अब गलवान शहीद गणेश हांसदा चौक के नाम से जाना जाता है, आज भी यात्री सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यह चौक क्षेत्र के दर्जनों गांवों के सैकड़ों यात्रियों का मुख्य पड़ाव है, लेकिन यहां न तो यात्री प्रतीक्षालय सुरक्षित है और न ही पेयजल या शौचालय की कोई सुविधा।
30 साल पुराना प्रतीक्षालय बना खंडहर
बांसदा चौक पर 30 साल पहले बना यात्री प्रतीक्षालय अब अपनी आखिरी सांसे ले रहा है। जर्जर हालत में यह प्रतीक्षालय कभी भी गिर सकता है।
- धूप और बारिश में परेशानी: यात्रियों को बारिश और कड़ी धूप में पेड़ों के नीचे बैठकर वाहनों का इंतजार करना पड़ता है।
- महिला यात्रियों की समस्या: शौचालय की अनुपस्थिति महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
पेयजल का अभाव
चौक पर एक मात्र पुराना कुआं है, जिसका पानी पीने योग्य नहीं है। इसके बावजूद यात्री मजबूरी में इसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। पेयजल की उचित व्यवस्था न होने के कारण यात्रियों को कई बार निजी दुकानों से पानी खरीदना पड़ता है।
उजाले में भी डूबा चौक
चौक पर स्थापित हाई मास्ट लाइट पिछले चार साल से खराब पड़ी है।
- अंधेरा पसरा रहता है: शाम होते ही चौक और बस पड़ाव अंधेरे में डूब जाता है, जिससे यात्रियों और दुकानदारों को दिक्कत होती है।
- मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं: स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि कई बार शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
गलवान के शहीद के नाम पर चौक, लेकिन सुविधाओं का अभाव
यह चौक गलवान घाटी के वीर शहीद गणेश हांसदा के नाम पर स्थापित है।
- चौक पर उनकी एक मूर्ति भी स्थापित है, लेकिन चौक की हालत इस सम्मान के विपरीत है।
- क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि सरकार शहीदों का सम्मान करती है, लेकिन चौक और आसपास की मूलभूत सुविधाओं को नजरअंदाज कर दिया गया है।
ग्रामीणों और यात्रियों का क्या कहना है?
ग्रामीणों और यात्रियों ने अपनी परेशानी को साझा करते हुए बताया:
- "सरकार हाईवे का निर्माण करती है, लेकिन बस पड़ावों पर ध्यान नहीं देती," एक यात्री ने कहा।
- "शौचालय और पानी की सुविधा के बिना यहां रहना मुश्किल हो जाता है," स्थानीय दुकानदार ने जोड़ा।
इतिहास में परिवहन और चौक का महत्व
भारत में परिवहन व्यवस्था और बस पड़ाव ग्रामीण इलाकों में संपर्क का मुख्य माध्यम रहे हैं।
- 1970s: बस पड़ावों पर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए योजनाएं बनीं।
- वर्तमान: बदलते वक्त के साथ शहरी बस अड्डों पर सुविधाओं में सुधार हुआ, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र अब भी उपेक्षित हैं।
क्या हो सकता है समाधान?
सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि:
- नए प्रतीक्षालय का निर्माण करें।
- पेयजल और शौचालय की सुविधाओं को बहाल करें।
- हाई मास्ट लाइट की मरम्मत करें।
- शहीद गणेश हांसदा के नाम से चौक का सौंदर्यीकरण किया जाए।
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