Lord Ganesha and Lord Shiva: जानिए! क्यों हुआ भगवान शिव और गणेश के बीच घमासान युद्ध?
भगवान गणेश और भगवान शिव के बीच युद्ध क्यों हुआ? क्या था इस टकराव का कारण? जानिए पूरी कहानी और गणेश जी के गजानन बनने का रहस्य!
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भगवान गणेश की उत्पत्ति और विवाद की कहानी
अगर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की जाए तो जीवन की सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव और गणेश के बीच एक भयंकर युद्ध भी हुआ था? यह एक ऐसा रहस्य है जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे! आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक युद्ध की पूरी कहानी...
कैसे हुई भगवान गणेश की उत्पत्ति?
गणेशजी की उत्पत्ति को लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मान्य कथा गणेश पुराण में वर्णित है। श्वेत कल्प के अनुसार, एक समय कैलाश पर्वत पर माता पार्वती और भगवान शिव अत्यंत आनंदमय जीवन व्यतीत कर रहे थे।
एक दिन पार्वती जी की सखियाँ, जया और विजया, माता से शिकायत करने लगीं कि भगवान शिव के पास नंदी, भृंगी और अन्य गण हैं, जो उनके आदेश का पालन करते हैं, लेकिन माता पार्वती का कोई गण नहीं है। इस विचार ने माता को सोचने पर मजबूर कर दिया।
जब पार्वती ने बनाया गणपति
एक दिन माता पार्वती स्नान करने के लिए गईं। उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। यह बालक बहुत सुंदर, बलशाली और पराक्रमी था। माता ने उसे अपना पुत्र घोषित किया और आदेश दिया कि कोई भी बिना अनुमति के उनके कक्ष में प्रवेश न करे।
कैसे हुआ शिव और गणेश के बीच युद्ध?
इधर, भगवान शिव अपनी तपस्या से लौटे और पार्वती जी से मिलने उनके कक्ष की ओर बढ़े। लेकिन जैसे ही वे द्वार पर पहुँचे, गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। गणेश जी माता के आदेशानुसार अपने कर्तव्य पर अडिग रहे।
भगवान शिव ने कई बार आदेश दिया, लेकिन गणपति टस से मस नहीं हुए। तब महादेव क्रोधित हो गए और दोनों के बीच घमासान युद्ध छिड़ गया। भगवान शिव ने त्रिशूल उठाया और गणेशजी का सिर काट दिया।
पार्वती का क्रोध और गणेश का पुनर्जन्म
जब माता पार्वती ने यह दृश्य देखा, तो वे क्रोधित हो गईं और संहारक रूप धारण कर लिया। देवताओं में हाहाकार मच गया। ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं ने पार्वती को शांत करने की प्रार्थना की। तब माता ने कहा कि वे तभी शांत होंगी जब गणेश जी को पुनर्जीवित किया जाएगा।
भगवान शिव ने तुरंत अपने गणों को आदेश दिया कि वे किसी भी प्राणी का सिर लाएँ, जो उत्तर दिशा की ओर मुँह किए हो। उन्हें एक हाथी का सिर मिला और शिवजी ने गणेश जी के धड़ पर उसे स्थापित कर दिया। तभी से गणेशजी को ‘गजानन’ कहा जाने लगा।
गणेश जी को प्रथम पूज्य का वरदान
इस घटना के बाद माता पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि वे प्रथम पूज्य होंगे। तभी से किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव और गणेश जी का यह युद्ध केवल पिता-पुत्र का टकराव नहीं था, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि अपने कर्तव्य का पालन करने वाले को स्वयं महादेव भी नहीं हरा सकते। यही कारण है कि गणपति को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है।
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