आखिर क्यों भारत के हाथ से फिसल गया 'पोर्ट ब्लेयर'? जानें अब कैसे पहुंचेंगे आप 'श्री विजयपुरम'!
पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर 'श्री विजयपुरम' कर दिया गया है, जानिए इसके पीछे की वजह और अब आप कैसे इस ऐतिहासिक जगह तक पहुंच सकते हैं। यह फैसला भारत को औपनिवेशिक प्रतीकों से मुक्त करने के लिए किया गया है।
पोर्ट ब्लेयर, जिस जगह को अब तक आप अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी के रूप में जानते थे, अब इतिहास का हिस्सा बन गया है। इसका नाम बदलकर 'श्री विजयपुरम' कर दिया गया है। यह फैसला भारत सरकार ने औपनिवेशिक प्रतीकों से मुक्ति पाने के लिए लिया है। पर सवाल ये है कि आखिर क्यों 'पोर्ट ब्लेयर' नाम हमारे हाथ से फिसल गया और अब आप कैसे इस जगह तक पहुंच सकेंगे?
शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह ऐतिहासिक घोषणा की कि सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, "यह कदम अंडमान निकोबार द्वीप समूह के स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान को दर्शाने के लिए लिया गया है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारी स्वतंत्रता के संघर्ष का प्रतीक है।"
क्या है ‘श्री विजयपुरम’ का महत्व?
गृह मंत्री ने यह भी बताया कि यह नाम हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की याद में रखा गया है, जिन्होंने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में अपनी वीरता दिखाई थी। यह वही जगह है जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था, और जहां वीर सावरकर जैसे क्रांतिकारी सेलुलर जेल में कैद थे।
क्या बदल जाएगा आपकी यात्रा में?
अब सवाल ये उठता है कि यदि आप पोर्ट ब्लेयर की यात्रा पर जाने की सोच रहे हैं, तो क्या इससे आपकी यात्रा पर कोई असर पड़ेगा? जवाब है हां, लेकिन नाम के अलावा और कुछ नहीं। यह स्थान अब ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा, पर इसकी ऐतिहासिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य पहले जैसा ही रहेगा।
क्या है इसके पीछे की राजनीति?
इस नाम बदलाव के पीछे एक बड़ी वजह है - औपनिवेशिक प्रतीकों से छुटकारा। अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प से प्रेरित होकर यह फैसला लिया गया है।" लेकिन क्या यह केवल प्रतीकात्मक बदलाव है, या इसके पीछे और भी कुछ गहरा संदेश है?
पहले भी बदले गए थे नाम
अगर आपको याद हो, तो 2018 में पीएम मोदी ने अंडमान निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदले थे। हैवलॉक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप, और रॉस द्वीप का नाम सुभाष चंद्र द्वीप रखा गया था। अब ‘पोर्ट ब्लेयर’ का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करना उसी दिशा में उठाया गया एक और कदम है।
तो, क्या ये केवल नामों का बदलाव है या भारत अपनी औपनिवेशिक पहचान को पीछे छोड़कर नए स्वाधीनता के प्रतीक बना रहा है? आपकी अगली यात्रा ‘श्री विजयपुरम’ की होगी, और अब आप इस ऐतिहासिक स्थल को एक नई दृष्टि से देखेंगे।
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