क्या होती है आचार संहिता ?: जानें चुनावों में इसके नियम और महत्व!
आचार संहिता चुनावों के दौरान लागू होने वाले नियम हैं। जानें ये कब और क्यों लागू होते हैं, और पार्टियों को क्या ध्यान रखना चाहिए।
16 अक्टूबर 2024: भारत में इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। इन राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। आज दोपहर 12 बजे चुनाव आयोग एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन राज्यों के चुनावी तारीखों की घोषणा करेगा। इस घोषणा के बाद 'मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट' यानी 'आचार संहिता' लागू हो जाएगी।
आचार संहिता का मतलब है चुनावी नियमों का एक सेट, जिसे चुनाव आयोग चुनाव के समय लागू करता है। इसका मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। जब भी चुनाव की तारीखें घोषित होती हैं, तब आचार संहिता लागू हो जाती है। इसके बाद सभी राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों को कुछ नियमों का पालन करना होता है।
आचार संहिता लागू होने के बाद, राजनीतिक पार्टियों को अपने चुनाव प्रचार में सावधानी बरतनी होती है। उदाहरण के लिए, उम्मीदवारों को निर्धारित सीमा के भीतर ही चुनाव खर्च करना होगा। इसके अलावा, किसी भी तरह के लोभ-लवाब देने, गलत सूचना फैलाने या आचार-विचार में असामान्य गतिविधियों से बचना होगा।
अगर कोई पार्टी या उम्मीदवार इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। कार्रवाई में चुनाव आयोग द्वारा नोटिस जारी करना, चुनाव प्रचार पर रोक लगाना, या उम्मीदवार की मान्यता रद्द करना शामिल हो सकता है।
आचार संहिता का पालन न करना केवल राजनीतिक नीतियों पर ही नहीं, बल्कि मतदाता के अधिकारों पर भी असर डाल सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि सभी पार्टियाँ और उम्मीदवार इस नियम को गंभीरता से लें।
उम्मीद है कि चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद, सभी पार्टियाँ आचार संहिता के अंतर्गत अपने प्रचार को सही दिशा में लेकर चलेंगी। यह चुनावी प्रक्रिया को स्वच्छ और निष्पक्ष बनाने में मदद करेगा।
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