झारखंड में पूर्व सैनिकों के अधिकारों की रक्षा की मांग, मातृशक्ति परिषद ने उठाई आवाज
झारखंड में पूर्व सैनिकों के मुद्दों पर मातृशक्ति परिषद ने ध्यान आकर्षित किया। परिषद ने नौकरियों, पुनर्वास और सुरक्षा के अधिकारों की मांग की है।
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जमशेदपुर, 28 अक्टूबर 2024: अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद और मातृशक्ति झारखंड ने पूर्व सैनिकों के सम्मान और उनके नियोजन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उनका मुख्य उद्देश्य है कि पूर्व सैनिकों की जीवन शैली समाज के साथ गतिमान हो सके। परिषद ने कहा है कि सभी को मिलकर एक सशक्त सैनिक संगठन बनाना है, ताकि सैन्य हितों की रक्षा की जा सके और उन्हें स्तरीय रोजगार मिले।
परिषद ने राष्ट्रहित, समाजहित और सैन्यहित के मुद्दों पर भी ध्यान दिया है। इसके अंतर्गत पूर्व सैनिकों के पुनर्वास, शहीदों के सम्मान और समाज में राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। परिषद के सदस्यों ने माननीय मंत्री को विभिन्न योजनाओं और प्रकल्पों की जानकारी दी। मंत्री ने राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर की सभी सैन्य समस्याओं के शीघ्र निस्तारण का आश्वासन दिया।
हालांकि, झारखंड में पूर्व सैनिकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2000 में झारखंड प्रदेश के गठन के बाद से अब तक राज्य सरकार की नौकरियों में पूर्व सैनिकों को कोई आरक्षण नहीं दिया गया है। जबकि देश के अन्य चार राज्यों के अलावा सभी राज्यों में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण का प्रावधान है।
सेवानिवृत्त होने के बाद शहीदों और पूर्व सैनिकों को मिलने वाली जमीन के आवंटन पर भी सरकार ने रोक लगा दी है। टाटा स्टील सहित राज्य के सभी निजी संस्थानों में सुरक्षा कार्यों में पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है।
जमशेदपुर जैसे शहर में ECHS के माध्यम से केवल एक अस्पताल ही सूचीबद्ध है। जबकि लौहनगरी का प्रमुख अस्पताल, टाटा मेन हॉस्पिटल, ECHS से सूचीबद्ध नहीं हो सका है। यह प्रक्रिया पिछले 7 वर्षों से विफल रही है।
शहीदों के परिवारों को राज्य में उचित सम्मान और मुआवजे की व्यवस्था अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है। DGR के माध्यम से विभिन्न संस्थानों में सुरक्षा सेवा देने वाले पूर्व सैनिकों को निर्धारित मानदंडों के अनुसार वेतन नहीं दिया जा रहा। उनका लगातार शोषण हो रहा है।
झारखंड में ESM से दबंगों और पुलिस कर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार की घटनाएं भी आम हैं। इसके खिलाफ प्रशासन में सुनवाई मुश्किल से होती है। उत्तर प्रदेश में एक सीनियर एसपी को ESM के मामलों पर शीघ्रता से कार्रवाई के लिए चिन्हित किया गया है। इसी तरह की व्यवस्था झारखंड में भी लागू की जानी चाहिए।
CSD कैंटीन की सुविधा सभी पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को मिलनी चाहिए, लेकिन झारखंड में केवल तीन जिलों में यह उपलब्ध है। इसके चलते ज्यादातर पूर्व सैनिकों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है।
इस प्रकार, मातृशक्ति परिषद ने पूर्व सैनिकों के अधिकारों और समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया है। उनकी मांगों को सुनना और उचित कदम उठाना समय की आवश्यकता है।
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