Jamshedpur Fight: बगान नंबर 3 में खून से सनी सड़क, सीसीटीवी में कैद हुई पूरी वारदात!

जमशेदपुर के काशीडीह बगान नंबर 3 में दो गुटों के बीच जबरदस्त मारपीट। मामला सीसीटीवी में कैद, पुलिस ने जांच शुरू की। जानिए क्या है पूरा विवाद?

Mar 17, 2025 - 12:28
Mar 17, 2025 - 12:36
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Jamshedpur Fight: बगान नंबर 3 में खून से सनी सड़क, सीसीटीवी में कैद हुई पूरी वारदात!
Jamshedpur Fight: बगान नंबर 3 में खून से सनी सड़क, सीसीटीवी में कैद हुई पूरी वारदात!

जमशेदपुर का काशीडीह इलाका रविवार की शाम जंग के मैदान में बदल गया जब दो गुटों के बीच खूनी संघर्ष हुआ। लाइन नंबर 3 के बिनोद यादव और भुइयांडीह निर्मलनगर के सचिन कुमार सिंह के बीच जमकर लाठी-डंडे चले, जिसमें दोनों घायल हो गए।

  • यह झगड़ा कोई नया नहीं था, बल्कि 14 मार्च को हुई बहस की कड़ी थी, जो अब मारपीट में बदल चुकी है।
  • दोनों पक्षों के बीच पहले से दुश्मनी थी, और यह दुश्मनी अब खून-खराबे में बदल गई।
  • पूरी वारदात इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो चुकी है।

कैसे भड़की मारपीट?

रविवार की शाम बगान नंबर 3 में सचिन कुमार सिंह और सोनू यादव खड़े थे।

  • इसी दौरान बिनोद यादव अपने दो साथियों के साथ बाइक पर वहां पहुंचा।
  • पहले दोनों पक्षों में बहस शुरू हुई, फिर देखते ही देखते यह झगड़ा लाठी-डंडों की मारपीट में बदल गया।
  • गुस्से में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमला कर दिया, जिससे बिनोद यादव और सचिन कुमार सिंह बुरी तरह घायल हो गए।

सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखी पूरी वारदात

घटना का सबसे बड़ा सबूत वहां लगे सीसीटीवी कैमरे हैं, जिन्होंने पूरी मारपीट को रिकॉर्ड कर लिया।

  • अब पुलिस इन फुटेज के आधार पर जांच कर रही है।
  • दोनों पक्षों ने साकची थाना में शिकायत दर्ज करवाई है।
  • पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है और दोनों पक्षों से पूछताछ जारी है।

जमशेदपुर में क्यों बढ़ रहे आपसी झगड़े?

जमशेदपुर पहले एक औद्योगिक और शांत शहर माना जाता था, लेकिन अब यहां अपराध बढ़ रहे हैं।

  • आपसी रंजिश और झगड़े आम बात हो गई है।
  • छोटे विवाद भी अब हिंसक रूप लेने लगे हैं।
  • पुलिस के लिए अब चुनौती यह बन गई है कि आखिर ऐसे झगड़ों को कैसे रोका जाए?

क्या होगा आगे?

  • पुलिस दोनों पक्षों से पूछताछ कर रही है।
  • सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कार्रवाई होगी।
  • यदि कोई बड़ा अपराध सामने आया, तो आरोपियों पर सख्त धाराएं लगाई जा सकती हैं।

क्या हो सकता था?

अगर पुलिस ने पहले ही 14 मार्च की बहस को गंभीरता से लिया होता, तो यह झगड़ा शायद टल सकता था।

  • अब सवाल उठता है कि क्या पुलिस ऐसे मामलों को लेकर सतर्क है?
  • क्या शहर में बढ़ते झगड़े प्रशासन की लापरवाही का नतीजा हैं?

आपकी राय?

क्या पुलिस को ऐसे छोटे झगड़ों को गंभीरता से लेना चाहिए ताकि वे बड़े अपराध में न बदलें?
आप क्या सोचते हैं? कमेंट में अपनी राय दें!

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।