Tata Steel Innovation: टॉप इंजीनियरिंग टैलेंट ने दिखाई धमाकेदार क्रिएटिविटी, जानें किसने मारी बाजी!

टाटा स्टील के ‘माइंड ओवर मैटर’ इनोवेशन चैलेंज के 10वें संस्करण में देशभर के टॉप इंजीनियरिंग टैलेंट ने दिखाया शानदार कौशल। जानें विजेताओं के नाम, उनकी इनोवेटिव सोच और इस चैलेंज से मिलने वाले जबरदस्त फायदे।

Mar 10, 2025 - 18:18
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Tata Steel Innovation: टॉप इंजीनियरिंग टैलेंट ने दिखाई धमाकेदार क्रिएटिविटी, जानें किसने मारी बाजी!
Tata Steel Innovation: टॉप इंजीनियरिंग टैलेंट ने दिखाई धमाकेदार क्रिएटिविटी, जानें किसने मारी बाजी!

क्या आप जानते हैं कि भारत के युवा इंजीनियरिंग माइंड्स कैसे असली दुनिया की चुनौतियों का हल निकालते हैं? टाटा स्टील की प्रतिष्ठित इनोवेशन प्रतियोगिता ‘माइंड ओवर मैटर’ हर साल इस रोमांचक यात्रा को और भी खास बना देती है। इस बार इसका 10वां संस्करण अपने आप में ऐतिहासिक साबित हुआ, जहां देशभर के टॉप संस्थानों के प्रतिभाशाली छात्रों ने अपनी क्रिएटिविटी और तकनीकी हुनर का जोरदार प्रदर्शन किया।

इस बार की प्रतियोगिता में रिकॉर्ड तोड़ 660 से अधिक छात्रों ने भाग लिया, जिनमें से टॉप 5 फाइनलिस्ट्स ने अपनी बेहतरीन इनोवेटिव सोच और तकनीकी दक्षता से जूरी पैनल को प्रभावित किया। इस वर्ष की चैंपियन बनीं आईआईटी (आईएसएम) धनबाद की नमिता दुबे, जिन्होंने सभी को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया। उनके बाद, आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी के रवु रवि तेजा प्रथम उपविजेता बने और कुरपाटी हर्षवर्धन द्वितीय उपविजेता रहे।

क्या है ‘माइंड ओवर मैटर’?

‘माइंड ओवर मैटर’ सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक प्लेटफॉर्म है जो युवा इंजीनियरों को असली इंडस्ट्री प्रॉब्लम्स सॉल्व करने का मौका देता है। इसमें भाग लेने वाले छात्रों को टाटा स्टील के विशेषज्ञों से सीखने, प्रोटोटाइप डेवलप करने और असली इंडस्ट्रियल इनोवेशन में योगदान देने का सुनहरा अवसर मिलता है।

टाटा स्टील ने इस इनोवेशन चैलेंज की शुरुआत 2014 में की थी, जिसका मकसद स्टील इंडस्ट्री से जुड़े रियल-वर्ल्ड प्रॉब्लम्स के समाधान निकालने के लिए देश के सबसे होनहार इंजीनियरिंग छात्रों को एक साथ लाना था। पिछले एक दशक में, यह प्रतियोगिता भारतीय इंजीनियरिंग प्रतिभाओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाली एक बड़ी इनोवेशन मूवमेंट बन चुकी है।

क्या मिला विजेताओं को?

इस बार के विजेताओं को सिर्फ नाम और शोहरत ही नहीं, बल्कि आकर्षक नकद पुरस्कार भी मिले।

विजेता नमिता दुबे को 1,00,000 रुपये और प्रमाणपत्र
प्रथम उपविजेता रवु रवि तेजा को 75,000 रुपये
द्वितीय उपविजेता कुरपाटी हर्षवर्धन को 50,000 रुपये

इसके अलावा, इन सभी को टाटा स्टील के R&D विभाग में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में प्री-प्लेसमेंट ऑफर (PPO) भी मिला, यानी करियर की शानदार शुरुआत! अन्य फाइनलिस्ट्स को भी टाटा स्टील के साथ प्री-प्लेसमेंट इंटरव्यू (PPI) का मौका मिला।

कैसे चुने गए टॉप इंजीनियरिंग माइंड्स?

इस साल की प्रतियोगिता में 37 शीर्ष तकनीकी संस्थानों, जिनमें 14 IITs और 10 NITs शामिल थे, के छात्रों ने अपनी इनोवेटिव सोच का दमखम दिखाया। प्रतियोगिता के दौरान, छात्रों को 15 अलग-अलग तकनीकी चुनौतियों में से किसी एक को सॉल्व करने का मौका मिला, जिससे 100 से अधिक हाई-क्वालिटी एंट्रीज़ प्राप्त हुईं।

इन प्रविष्टियों का मूल्यांकन एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल ने किया, जिसमें टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट टेक्नोलॉजी, आरएंडडी, एनएमबी और ग्रैफीन सुबोध पांडेय, चीफ प्रोडक्ट रिसर्च राहुल कुमार वर्मा, और जेसीएपीसीपीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर अभिजीत अविनाश ननोटी शामिल थे।

चयन प्रक्रिया:
 छात्रों की रचनात्मक सोच
समस्या समाधान कौशल
तकनीकी दक्षता और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट क्षमता

भविष्य में क्या होगा?

टाटा स्टील न केवल विजेता टीमों को सम्मानित करेगा, बल्कि उन्हें अपने R&D विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में प्रोटोटाइप डेवलपमेंट का मौका भी देगा। इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य सिर्फ विजेताओं को पुरस्कार देना नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के इंजीनियरिंग टैलेंट को आगे बढ़ाने का प्लेटफॉर्म देना है

टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट टेक्नोलॉजी, सुबोध पांडेय ने कहा,
"‘माइंड ओवर मैटर’ केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि नवाचार और इंडस्ट्री-एकेडेमिया सहयोग की अनूठी यात्रा है। यह हमारे देश के युवा इंजीनियरों की अद्भुत प्रतिभा और उनकी समस्या समाधान क्षमता को सामने लाने का मंच है। हमें विश्वास है कि ये प्रतिभाशाली युवा स्टील और न्यू मटेरियल टेक्नोलॉजी के भविष्य को नया आयाम देंगे।"

क्यों है ‘माइंड ओवर मैटर’ इतना खास?

  • यह सिर्फ एक प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि युवाओं के लिए करियर का शानदार मौका है।
  • इसमें जीतने वाले छात्रों को न सिर्फ इनाम मिलता है, बल्कि टाटा स्टील में काम करने का सीधा मौका भी।
  • यह प्रतियोगिता तकनीकी शिक्षा और इंडस्ट्री के बीच की खाई को पाटने में मदद करती है
  • पिछले 10 वर्षों में, यह हजारों छात्रों के करियर को नई दिशा दे चुकी है

टाटा स्टील की यह प्रतियोगिता युवा इंजीनियरों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जहां वे अपनी तकनीकी सोच को परख सकते हैं, असली इंडस्ट्रियल प्रॉब्लम्स को हल कर सकते हैं और भविष्य की इनोवेशन लीडरशिप का हिस्सा बन सकते हैं। आने वाले वर्षों में, यह चैलेंज और भी बड़े स्तर पर आयोजित होगा और भारत के होनहार टैलेंट को नई उड़ान देगा! 

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।