Baharagoda Sand Seizure: अवैध बालू पर छापा, 20 हजार सीएफटी जब्त

बहरागोड़ा के मधुआबेड़ा में जिला खनन निरीक्षक और प्रशासन ने अवैध बालू भंडारण के खिलाफ कार्रवाई की। 20 हजार सीएफटी बालू जब्त, बालू माफियाओं में हड़कंप। पढ़ें पूरी खबर।

Dec 14, 2024 - 20:25
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Baharagoda Sand Seizure: अवैध बालू पर छापा, 20 हजार सीएफटी जब्त
Baharagoda Sand Seizure: अवैध बालू पर छापा, 20 हजार सीएफटी जब्त

बहरागोड़ा, 14 दिसंबर 2024: बहरागोड़ा प्रखंड के मधुआबेड़ा में शनिवार शाम जिला खनन निरीक्षक अरविंद कुमार और अंचल प्रशासन ने पुलिस बल के साथ अवैध बालू के भंडारण और परिवहन के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया। इस छापेमारी में 20,000 सीएफटी अवैध बालू जब्त किया गया। कार्रवाई के बाद इलाके में बालू माफियाओं के बीच हड़कंप मच गया है।

अवैध बालू उत्खनन: झारखंड में एक गंभीर समस्या

झारखंड के विभिन्न जिलों, विशेषकर स्वर्णरेखा नदी घाटों से, लंबे समय से अवैध बालू उत्खनन और परिवहन की खबरें आती रही हैं। बालू माफियाओं का नेटवर्क न केवल प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी नुकसान पहुंचाता है।

कैसे हुई छापेमारी?

खनन निरीक्षक अरविंद कुमार ने जानकारी दी कि मधुआबेड़ा में दो अलग-अलग स्थानों पर अवैध बालू का बड़ा भंडारण मिला।

  • पहले स्थान पर 11,000 सीएफटी बालू और
  • दूसरे स्थान पर 9,000 सीएफटी बालू जब्त किया गया।

उन्होंने बताया कि स्वर्णरेखा नदी घाट से बालू को अवैध रूप से निकाला गया और पास के इलाकों में जमा कर वाहनों के जरिए ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा था।

बालू माफियाओं का खेल और प्रशासन का एक्शन

खनन निरीक्षक ने बताया, "बालू माफिया डंप किए गए बालू को ऊंचे दामों पर बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं। जब्त किए गए बालू को अब सुरक्षित स्थान पर ले जाने की तैयारी की जा रही है।"

इस छापेमारी में अंचलाधिकारी राजाराम मुंडा, थाना प्रभारी ईश्वर दयाल मुंडा और पुलिस बल के जवानों ने भी अहम भूमिका निभाई।

अवैध बालू उत्खनन के दुष्प्रभाव

  1. पर्यावरणीय नुकसान: नदियों के तल से अत्यधिक बालू निकासी से नदी की गहराई और बहाव प्रभावित होता है।
  2. राजस्व हानि: सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान होता है, क्योंकि बालू माफिया बिना लाइसेंस के उत्खनन करते हैं।
  3. स्थानीय जनता पर असर: अवैध उत्खनन से पानी के स्रोत सूख सकते हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में जल संकट बढ़ता है।

क्या कहती है झारखंड की खनन नीति?

झारखंड सरकार ने खनन और खनिज विकास नियम, 2016 के तहत बालू उत्खनन और परिवहन के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

  • लाइसेंस प्राप्त किए बिना बालू खनन पर सख्त रोक है।
  • कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना और सजा का प्रावधान है।

प्रशासन का कड़ा संदेश

जिला खनन निरीक्षक अरविंद कुमार ने कहा कि अवैध बालू खनन और भंडारण के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। उन्होंने बालू माफियाओं को चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इलाके में हड़कंप

इस कार्रवाई के बाद मधुआबेड़ा और आसपास के इलाकों में बालू माफियाओं के बीच भय और अफरातफरी का माहौल है। स्थानीय लोग प्रशासन की इस कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि यह अवैध बालू माफियाओं पर लगाम लगाने में मददगार होगी।

अवैध खनन के खिलाफ जागरूकता अभियान की जरूरत

झारखंड के कई इलाकों में अवैध खनन एक बड़ी समस्या बनी हुई है। प्रशासन की सख्ती के साथ-साथ, जनता को भी इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है।

  1. स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना।
  2. कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी देना।
  3. स्थायी खनन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना।

मधुआबेड़ा में प्रशासन की छापेमारी अवैध खनन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इसी तरह के ठोस कदम उठाए जाते रहे, तो झारखंड को बालू माफियाओं के चंगुल से मुक्त किया जा सकता है।

क्या प्रशासन की यह कार्रवाई बालू माफियाओं की गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगा पाएगी? या फिर इस समस्या से निपटने के लिए और कड़े कदम उठाने की जरूरत है?

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।