Tamilnadu Census War: स्टालिन की नई सियासी चाल, क्या होगा उत्तर भारत पर असर?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन और त्रिभाषा नीति पर केंद्र सरकार को घेरा। क्या दक्षिण भारत की राजनीति को बचाने की यह बड़ी चाल है? जानें पूरा मामला!

Mar 6, 2025 - 09:39
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Tamilnadu Census War: स्टालिन की नई सियासी चाल, क्या होगा उत्तर भारत पर असर?
Tamilnadu Census War: स्टालिन की नई सियासी चाल, क्या होगा उत्तर भारत पर असर?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार को जनगणना आधारित परिसीमन और त्रिभाषा नीति को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में स्टालिन ने दक्षिण भारतीय राज्यों को एकजुट कर जॉइंट एक्शन कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर लोकसभा सीटों का परिसीमन होता है, तो उसका आधार 1971 की जनगणना ही होना चाहिए।

परिसीमन विवाद: क्यों उठा यह मुद्दा?
भारत में 2026 के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन होना तय है। परिसीमन यानी किसी क्षेत्र में जनसंख्या के आधार पर लोकसभा या विधानसभा सीटों का निर्धारण। लेकिन इसमें बड़ा विवाद यह है कि अगर 2021 या 2031 की जनगणना को आधार बनाया गया, तो उत्तर भारतीय राज्यों की सीटें बढ़ेंगी, जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों को नुकसान होगा

स्टालिन की मांग यही है कि परिसीमन 1971 की जनगणना के आधार पर हो ताकि दक्षिण भारत की राजनीतिक स्थिति पर असर न पड़े।

त्रिभाषा नीति पर स्टालिन का हमला
बैठक में स्टालिन ने केंद्र सरकार की त्रिभाषा नीति पर भी सवाल उठाए और इसे तमिल संस्कृति पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सच में तमिल से प्रेम करते हैं, तो केंद्र सरकार को इसे दिखाने की जरूरत है।

स्टालिन ने कहा कि,

  • तमिलनाडु में केंद्र सरकार के ऑफिसों से हिंदी हटाई जाए
  • तमिल को हिंदी के बराबर आधिकारिक भाषा का दर्जा मिले।
  • संस्कृत के प्रचार पर होने वाले खर्च को तमिल भाषा पर किया जाए।

तमिल बनाम हिंदी: बढ़ रही है खाई?
तमिलनाडु में हिंदी और संस्कृत के बढ़ते प्रभाव को लेकर स्टालिन ने कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि,

  • तमिलनाडु में हिंदी पखवाड़े पर करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं
  • रेलवे की नई ट्रेनों को हिंदी नाम देने के बजाय तमिल नाम दिए जाएं
  • तेजस, वंदे भारत जैसी ट्रेनों का नाम तमिल संस्कृति से जुड़ा होना चाहिए

उन्होंने ‘सेम्मोझि’, ‘मुथुनगर’, ‘वैगई’, ‘मलैकोट्टई’, ‘थिरुक्कुरल एक्सप्रेस’ जैसे नाम सुझाए।

सियासी समीकरण: कौन-कौन साथ और कौन खिलाफ?
स्टालिन की इस बैठक में तमिलनाडु की कई बड़ी पार्टियों ने हिस्सा लिया, जिनमें AIADMK, कांग्रेस, लेफ्ट पार्टी और सुपरस्टार विजय की पार्टी TVK शामिल रही। वहीं, भाजपा, NTK और पूर्व केंद्रीय मंत्री जीके वासन की पार्टी तमिल माणिला कांग्रेस (मूप्पनार) ने इस बैठक का बहिष्कार किया

राजनीतिक प्रभाव: उत्तर भारत पर असर पड़ेगा?
स्टालिन का यह कदम दक्षिण भारत की राजनीतिक ताकत को बचाने की एक बड़ी रणनीति मानी जा रही है। अगर परिसीमन में नए जनसंख्या आंकड़ों को आधार बनाया गया, तो उत्तर भारत की सीटें बढ़ेंगी और दक्षिण भारत की राजनीतिक शक्ति कमजोर हो सकती है।

इतिहास क्या कहता है?
1971 की जनगणना के बाद से भारत में राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए परिसीमन पर रोक लगाई गई थी2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसे 2026 तक टाल दिया। लेकिन अब 2026 नजदीक आ रहा है, और इसी को लेकर दक्षिण भारतीय राज्य सतर्क हो गए हैं

अगला कदम क्या होगा?
स्टालिन ने संकेत दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वह दक्षिण भारतीय राज्यों को एकजुट कर बड़ा आंदोलन खड़ा कर सकते हैं। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या वाकई परिसीमन से उत्तर-दक्षिण की राजनीति में बड़ा बदलाव आएगा?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।