Silvassa Poetry Event: अरब सागर के तट पर कवियों की महफिल, साहित्यिक समाज का अद्भुत संगम
सिलवासा में काव्य रसिक संस्थान द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन ने साहित्य और संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। जानें इस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से।
सिलवासा: अरब सागर के तट पर कवियों की महफिल – सिलवासा में 09 फरवरी 2025 को एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसे काव्य रसिक संस्थान द्वारा शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया। यह आयोजन दमन और दीव, दादरा एवं नगर हवेली के संघ शासित प्रदेश की राजधानी सिलवासा के कला केन्द्र आडोटोरियम में हुआ, जहां साहित्य और संस्कृति के प्रेमियों ने मिलकर एक शानदार शाम का आनंद लिया। इस कार्यक्रम ने न केवल साहित्य के प्रति प्रेम को बढ़ाया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और समाज की भलाई के संदेश भी दिए।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर मां शारदे की वंदना से हुई, जिससे वातावरण में एक पवित्र और सांस्कृतिक ऊर्जा का संचार हुआ। इस दौरान मुख्य अतिथि फतेह सिंह चौहान (लायंस क्लब के चेयरमैन), विशिष्ट अतिथि सीताराम (पूर्व सांसद सिलवासा), डॉ. राम करण साहू 'सजल' (उत्तर प्रदेश सरकार से सम्मानित), डॉ. राम रतन श्रीवास 'राधे राधे', कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. राम कुमार रसिक और काव्य रसिक संस्थान की कार्याध्यक्ष डॉ. मीना सुरेश जैन 'सुमीता' समेत कई साहित्यकार और विशिष्ट जन उपस्थित थे।
साहित्य और संस्कृति का अद्भुत संगम
इस कवि सम्मेलन में साहित्य, संस्कृति, और शिक्षा का अद्भुत संगम देखने को मिला। फतेह सिंह चौहान ने इस महोत्सव के आयोजन की सराहना की और पर्यावरण के महत्व पर प्रकाश डाला। वहीं, डॉ. 'राधे राधे' ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य को समझाते हुए कहा कि यह महोत्सव दादरा एवं नगर हवेली क्षेत्र में साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल साबित हो रहा है।
कार्यक्रम के दौरान कई प्रमुख पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। जिनमें डॉ. राम कुमार रसिक की "काव्य रसिक तरंग", डॉ. राम करण साहू 'सजल' की "पुरुषार्थ ही पुरुषार्थ", डॉ. मीना सुरेश जैन 'सुमीता' की "अनुभूति", और डॉ. इंदु जैन की "अंदाज ए इंदु" शामिल थीं। इस अवसर पर डॉ. राम करण साहू 'सजल' ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया और जनसमूह से अपील की कि वे अपने कार्यों में सतर्क रहें और पर्यावरण की रक्षा करें।
अनैतिकता और शृंगार की अभिव्यक्ति
कार्यक्रम में संध्या जैन महक ने आजकल बढ़ती अनैतिकता पर चर्चा करते हुए इसके सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं, राकेश कुमार 'अयोध्या' ने शृंगार की अभिव्यक्ति पर गहरी बातें की, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर गया। डॉ. इंदु जैन ने इसे एक स्वर्णिम याद बताते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमें संस्कृति और साहित्य के प्रति समर्पण की भावना से भर देते हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. राम कुमार रसिक ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि हम शिक्षा, साहित्य, और संस्कृति के माध्यम से भारतीय परंपराओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने में सफल होते हैं, तो हम भारतीय साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राम, कृष्ण, बुद्ध और महावीर की भूमि पर साहित्य और संस्कृति का प्रचार-प्रसार बहुत महत्वपूर्ण है।
समारोह का समापन और आभार
कार्यक्रम के अंत में डॉ. राम कुमार रसिक ने सभी अतिथियों, साहित्यकारों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए काव्य रसिक संस्थान के सभी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया। पूरे कार्यक्रम में साहित्य प्रेमियों का उत्साह देखते ही बनता था, और इस आयोजन ने सिलवासा के जनमानस को एक नई ऊर्जा प्रदान की।
यह आयोजन न केवल साहित्य की महत्ता को उजागर करता है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए साहित्य का उपयोग करने का भी एक मजबूत संदेश देता है। ऐसे आयोजनों से भारतीय संस्कृति और साहित्य को और अधिक पहचान मिलती है और यह हमें अपने प्राचीन साहित्यिक धरोहर को संजोने और आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है।
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