पर्यावरण की रक्षा के लिए कचरा निष्पादन पर जोर: सरयू राय, अंशुल शरण को सर्वसम्मति से युगांतर भारती का नया अध्यक्ष चुना गया।
रांची में आयोजित युगांतर भारती की आमसभा में अंशुल शरण को सर्वसम्मति से युगांतर भारती का नया अध्यक्ष चुना गया और सरयू राय ने कचरा निष्पादन और जल स्रोतों के संरक्षण पर जोर दिया। टेक्नोलॉजी से ही पर्यावरण समस्याओं का समाधान होगा।
27 सितंबर 2024 – रांची में युगांतर भारती की वार्षिक आमसभा का आयोजन किया गया, जिसमें पर्यावरण और जल स्रोतों के संरक्षण पर चर्चा की गई। इस सभा के मुख्य अतिथि सरयू राय ने कचरा निष्पादन, जल स्रोतों के अतिक्रमण और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। सरयू राय ने कहा कि आज कचरा निष्पादन सबसे बड़ी चुनौती बन गया है, और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। टेक्नोलॉजी ने समस्याएँ पैदा की हैं, लेकिन इन्हीं समस्याओं का समाधान भी टेक्नोलॉजी से ही हो सकता है।
अंशुल शरण को सर्वसम्मति से युगांतर भारती का नया अध्यक्ष चुना गया।
जल स्रोतों पर संकट
सरयू राय ने कहा कि छोटे जल स्रोतों पर आज सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है। हरमू और स्वर्णरेखा जैसी नदियों के उद्गम स्थल अतिक्रमण के कारण अपना पुराना स्वरूप खो चुके हैं। इन क्षेत्रों पर हो रहे निर्माण कार्य और खेती से पानी के स्रोत प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि छोटे जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए मिलकर काम करना होगा।
कचरा निष्पादन की समस्या
सरयू राय ने नगरपालिकाओं के अधिकारियों की कचरा निष्पादन प्रबंधन में कमी को भी इंगित किया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इस विषय पर प्रशिक्षण की आवश्यकता है ताकि 15वें वित्त आयोग द्वारा दिए गए फंड का सही उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि कचरा निष्पादन के प्रति जागरूकता बढ़ाने और टेक्नोलॉजी का सही उपयोग करने की जरूरत है।
पर्यावरण संरक्षण कानून
सरयू राय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 की भी सराहना की और कहा कि यह कानून काफी व्यवहारिक है और इससे अधिक कठोर कानून की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए केन्द्रीय और राज्य स्तर पर बोर्ड बनाए गए हैं, लेकिन राज्यों में इनकी स्थिति अच्छी नहीं है।
नदियों का संरक्षण आवश्यक
सभा में प्रोफेसर अंशुमाली ने भी जल संकट पर बात की। उन्होंने कहा कि 8 प्रतिशत भूभाग को नदियों और जलाशयों के लिए आरक्षित करना जरूरी है। यदि हम जल स्रोतों को संरक्षित नहीं करेंगे तो भविष्य में पानी का गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
प्रदूषण पर चिंता
पूर्व डीआईजी संजय रंजन ने कहा कि मानव सभ्यता की शुरुआत नदियों से हुई थी, लेकिन आज वही नदियाँ सबसे ज्यादा उपेक्षित हो गई हैं। उन्होंने कहा कि हर कदम पर प्रदूषण व्याप्त है और हमें इसे नियंत्रित करने के लिए अपने संस्कारों को अपनाने की जरूरत है।
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