Ranchi Attack: उग्रवादियों ने क्रशर साइट पर मचाया तांडव, मजदूर से मारपीट और वाहनों में लगाई आग
रांची के गुंजा गांव में उग्रवादियों का हमला, क्रशर साइट पर मजदूर से मारपीट और वाहनों को जलाया। जानें पूरी खबर और झारखंड में उग्रवाद का इतिहास।
रांची: रांची के ओरमांझी थाना क्षेत्र के गुंजा गांव में बुधवार रात एक सनसनीखेज घटना घटी, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। यहां एक क्रशर साइट पर उग्रवादियों ने न केवल मजदूर से मारपीट की, बल्कि दो वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इस हमले के पीछे 10 उग्रवादियों का एक समूह था, जो टीपीसी (तृतीय प्रस्तुति कमेटी) संगठन से जुड़े बताए जा रहे हैं। ये उग्रवादी NEPL कंपनी के क्रशर साइट पर पहुंचे और वहां काम कर रहे मजदूर पर हमला बोल दिया। इसके बाद एक हाइवा और एक पोकलेन मशीन को आग लगा दी गई। हमलावर छोटे हथियारों से लैस थे, जिससे इलाके में दहशत का माहौल बन गया।
उग्रवाद और झारखंड का इतिहास
झारखंड में उग्रवाद का इतिहास काफी पुराना रहा है। 2000 में झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद से ही उग्रवादी संगठनों की गतिविधियां यहां जारी रही हैं। टीपीसी, झारखंड लिबरेशन टाइगर्स (JLT) और माओवादी संगठनों ने वर्षों से इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखी है। हालांकि, सरकार और सुरक्षाबलों ने लगातार इन संगठनों को कमजोर करने के लिए अभियान चलाए हैं, लेकिन अब भी कुछ क्षेत्र उग्रवाद से ग्रस्त हैं।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही रांची पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। पुलिस अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या यह हमला पूरी तरह टीपीसी द्वारा किया गया था या इसमें किसी अन्य आपराधिक समूह की भी संलिप्तता है।
जांच अधिकारियों ने घटनास्थल से सबूत जुटाए हैं और मजदूरों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस का कहना है कि अपराधियों की पहचान जल्द ही कर ली जाएगी और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्रशर साइट पर सुरक्षा व्यवस्था
यह घटना क्रशर साइट्स पर सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर भी सवाल खड़े करती है। क्रशर साइट्स, जो अक्सर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित होती हैं, उग्रवादी हमलों के लिए सॉफ्ट टारगेट बनती हैं। इससे पहले भी झारखंड में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी साइट्स पर निगरानी कैमरों और सुरक्षा गार्ड्स की तैनाती आवश्यक है।
उग्रवाद पर सरकार की नीति
झारखंड सरकार ने उग्रवाद के खिलाफ "समर्पण नीति" अपनाई है, जिसके तहत उग्रवादियों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद, टीपीसी जैसे संगठन अभी भी सक्रिय हैं।
जनता में डर और जागरूकता
घटना के बाद गुंजा गांव के लोग डरे हुए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से सुरक्षा बढ़ाने और उग्रवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस और प्रशासन द्वारा स्थानीय लोगों को जागरूक करने और सुरक्षा का भरोसा दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
रांची के गुंजा गांव में हुई यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि झारखंड में उग्रवाद अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। हालांकि, प्रशासन की त्वरित कार्रवाई और जांच जारी है, जिससे जल्द ही अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह सुरक्षा उपायों को और कड़ा करे ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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