Bihar Election 2025 : RJD ने बिहार 2025 चुनाव में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को टिकट देकर सिवान में फिर जंगल राज की छाया ला दी!

क्या RJD वाकई अपने काले अतीत को गले लगा रही है, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कुख्यात गैंगस्टर-नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को टिकट देकर? जानें कैसे यह कदम लालू प्रसाद यादव के कुख्यात जंगल राज की याद दिलाता है – क्या मतदाता फिर से इस जाल में फंसेंगे?

Oct 15, 2025 - 11:25
 0
Bihar Election 2025 : RJD ने बिहार 2025 चुनाव में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को टिकट देकर सिवान में फिर जंगल राज की छाया ला दी!
Bihar Election 2025 : RJD ने बिहार 2025 चुनाव में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को टिकट देकर सिवान में फिर जंगल राज की छाया ला दी!

सिवान, बिहार: एक ऐसा कदम जो बिहार की राजनीति में भूचाल ला रहा है – राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025)  के लिए सिवान जिले के रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। शहाबुद्दीन, जिन्हें कभी "सिवान का आतंक" कहा जाता था, का नाम आज भी डर और दहशत का पर्याय है। महागठबंधन  की सीट-बंटवारे की बातचीत के बीच यह घोषणा RJD की उस रणनीति को उजागर करती है, जो सिवान के लोगों में डर बनाए रखकर वोट सुनिश्चित करने की कोशिश करती है। आलोचकों का कहना है कि यह लालू प्रसाद यादव के कुख्यात "जंगल राज" युग की पुनरावृत्ति है, जब अपराध और राजनीति एक-दूसरे में गूंथे हुए थे। क्या RJD अब भी अपराध के रास्ते से जीत की उम्मीद करती है?

इस निर्णय की गंभीरता को समझने के लिए हमें बिहार की राजनीति के अंधेरे इतिहास में उतरना होगा। मोहम्मद शहाबुद्दीन कोई साधारण नेता नहीं थे। 1967 में सिवान के प्रतापपुर गांव में जन्मे शहाबुद्दीन ने 1980 के दशक में छोटे-मोटे अपराधों से शुरुआत की और जल्द ही उगाही, अपहरण और हत्या जैसे संगीन अपराधों में लिप्त हो गए। 1990 के दशक तक वह जनता दल के बैनर तले राजनीति में आए और बाद में लालू की RJD से जुड़ गए। सिवान लोकसभा सीट से 1996 से 2004 तक चार बार सांसद चुने गए, अक्सर भारी अंतर से। उनकी जीत का राज था – बूथ कैप्चरिंग, मतदाताओं को धमकाना और कुछ समुदायों में उनकी मसीहाई छवि।

सिवान में शहाबुद्दीन का शासन आतंक का पर्याय था। लोग उन्हें "साहब" कहकर पुकारते थे, लेकिन यह सम्मान डर से उपजा था। वह 40 से अधिक आपराधिक मामलों में लिप्त थे, जिनमें 2001 में कार्यकर्ता छोटू मियां पर तेजाब हमला और 2004 में दो भाइयों, गिरीश और सतीश राज की हत्या शामिल थी, जिनके शवों को तेजाब में गलाया गया। पत्रकार भी उनके निशाने पर थे; 2004 में सिवान के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या कथित तौर पर उनके इशारे पर हुई थी। 1997 में कम्युनिस्ट नेता चंद्रशेखर प्रसाद की हत्या सहित कई मामलों में दोषी ठहराए गए शहाबुद्दीन 2021 में कोविड-19 से मृत्यु तक जेल में थे। फिर भी, सिवान में उनकी छाया बरकरार रही, जहां उनका आदेश कानून था और विरोध का मतलब था मौत।

यह वह दौर था जब लालू प्रसाद यादव 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री थे और बाद में 2005 तक प्रॉक्सी के जरिए शासन करते रहे। इसे "जंगल राज" कहा गया, जब अपराध चरम पर था। प्रति वर्ष 3,000 से अधिक अपहरण, उगाही के रैकेट और 1997 के लक्ष्मणपुर-बाथे जैसे जातीय नरसंहारों ने बिहार को बदनाम किया। RJD ने पिछड़े वर्गों और मुस्लिमों के लिए सामाजिक न्याय का झंडा बुलंद किया, लेकिन BJP और JD(U) जैसे विरोधियों ने इसे अपराधियों का संरक्षण देने का आरोप लगाया। शहाबुद्दीन ने एक वायरल वीडियो में दावा किया था, "मैं ही सिवान में कानून हूं," जो RJD की डर पर आधारित राजनीति को उजागर करता था। उस दौर में बिहार की अर्थव्यवस्था ठप थी – GDP वृद्धि राष्ट्रीय औसत से पीछे थी, बुनियादी ढांचा चरमरा गया था और युवा पलायन कर रहे थे।

अब 2025 में, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में RJD उसी पुरानी रणनीति को दोहरा रही है। 32 वर्षीय ओसामा शहाब का कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है, लेकिन वह अपने पिता की कुख्यात विरासत को ढो रहे हैं। अक्टूबर 2024 में अपनी मां हेना शहाब के साथ RJD में शामिल होने के बाद – जो लालू की मौजूदगी में हुआ – ओसामा को रघुनाथपुर से टिकट देना एक सोची-समझी चाल है। हेना ने 2024 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ा था, जब RJD ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन अब उनकी वापसी गठबंधन की रणनीति का हिस्सा है।

यह कदम क्यों? सिवान की जनसांख्यिकी – करीब 20% मुस्लिम आबादी और यादव प्रभाव – इसे RJD का गढ़ बनाती है। लेकिन इसके पीछे एक गहरी मंशा है: ओसामा को आगे करके RJD शहाबुद्दीन युग के डर को जिंदा रखना चाहती है। स्थानीय खबरों के मुताबिक, सिवान में बूथ रिगिंग और हिंसक अभियानों की यादें ताजा हो रही हैं, और विरोधी उम्मीदवारों को धमकियां मिल रही हैं। एक गुमनाम मतदाता ने कहा, "साहब का बेटा मतलब पुराने दिन वापस – वोट दो या अंजाम भुगतो।" यह रणनीति 1990 के दशक की याद दिलाती है, जब पप्पू यादव और आनंद मोहन जैसे अपराधियों को टिकट दिए गए थे।

विपक्ष ने इस पर तीखा हमला बोला है। BJP के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने इसे "जंगल राज की बेशर्म वापसी" करार दिया, जबकि JD(U) के नीरज कुमार ने कहा, "RJD अपराध के चश्मे से ही जीत देखती है – ओसामा का टिकट इसका सबूत है।" महागठबंधन में भी तनाव है; कांग्रेस, जो अधिक सीटें चाहती है, इसे RJD की दबंगई मान रही है।

इतिहास बताता है कि ऐसे कदम उल्टे पड़ सकते हैं। 2005 में NDA ने जंगल राज के खिलाफ नारा देकर सत्ता हासिल की थी। नीतीश कुमार के शासन में अपराध 40% कम हुआ और बिहार की विकास दर दोहरे अंकों में पहुंची। फिर भी, RJD की ताकत बरकरार है; 2020 में तेजस्वी ने 75 सीटें जीतकर इसे साबित किया।

ओसामा का प्रवेश इसे जटिल बनाता है। समर्थक इसे "सामाजिक न्याय की लड़ाई" कहते हैं, लेकिन आलोचक इसे अपराध का महिमामंडन मानते हैं। सोशल मीडिया पर गुस्सा उबल रहा है; X पर पोस्ट्स में RJD को "अपराधियों के बेटों को टिकट देने" की निंदा हो रही है। सिवान में, जहां शहाबुद्दीन के सहयोगी जैसे खान बंधु अभी भी प्रभावशाली हैं, चुनाव हिंसक हो सकता है।

नवंबर 2025 में होने वाले चुनाव में यह सवाल गूंजेगा: क्या RJD अपनी सुधरी छवि को अल्पकालिक लाभ के लिए दांव पर लगा रही है? क्या मतदाता, अतीत से तंग आ चुके हैं, इसे खारिज करेंगे? या डर की राजनीति अभी भी प्रभावी है? सिवान का भविष्य बिहार का भविष्य तय कर सकता है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।