Sasaram Shocker : नामांकन के बाद तुरंत गिरफ्तारी! RJD उम्मीदवार सत्येंद्र साह को सासाराम अनुमंडल कार्यालय से झारखंड पुलिस ने दबोचा, क्या था 2004 के बैंक लूट मामले का राज?
बिहार विधानसभा चुनाव में सासाराम से राष्ट्रीय जनता दल(RJD) के उम्मीदवार सत्येंद्र साह को नामांकन दाखिल करते ही झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ गढ़वा में 2004 के एक बैंक लूट मामले में गैर-जमानती वारंट लंबित था। साह पर लूट, डकैती और आपराधिक षड्यंत्र समेत 20 से अधिक मामले दर्ज हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राजद (RJD) के लिए एक बड़ी असहज और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। सासाराम सीट से पार्टी के उम्मीदवार सत्येंद्र साह को सोमवार को नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद झारखंड पुलिस ने नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी राजनीतिक गलियारों में बड़ी हलचल पैदा कर सकती है, क्योंकि सत्येंद्र साह की पृष्ठभूमि और अपराधिक मामलों की लंबी फेहरिस्त अब सार्वजनिक हो गई है।
सत्येंद्र साह जैसे ही सासाराम अनुमंडल कार्यालय पहुंचे और अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, झारखंड पुलिस की एक टीम वहां पहले से ही मुस्तैद थी। नामांकन की औपचारिकताएं पूरी करके जैसे ही साह कार्यालय से बाहर निकले, पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। इस अचानक हुई कार्रवाई से उनके समर्थक आश्चर्यचकित रह गए, क्योंकि उन्हें इस तरह के गैर-जमानती वारंट या लंबित मामलों की कोई जानकारी नहीं थी।
क्या है 2004 के बैंक लूट मामले का राज?
सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी का आधार गढ़वा जिले से जुड़ा एक गंभीर आपराधिक मामला है। झारखंड पुलिस के अनुसार, उनके खिलाफ गढ़वा के चिरौंजिया मोड़ पर 2004 में हुई एक बैंक लूट के मामले में गैर-जमानती वारंट लंबित था। यह वारंट 2018 में जारी किया गया था, जिसका मतलब है कि साह पिछले कई सालों से फरार चल रहे थे।
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गंभीर धाराएं: झारखंड पुलिस ने बताया कि सत्येंद्र साह गढ़वा में कांड संख्या 320/2004 में आरोपित थे। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 395 (डकैती), 397 (लूट या डकैती, जानलेवा हथियार से हमला करने की कोशिश के साथ) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज है।
झारखंड पुलिस ने यह भी खुलासा किया है कि सत्येंद्र साह के खिलाफ सिर्फ यह एक मामला नहीं है। लूट, डकैती और शस्त्र अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित 20 से अधिक मामले विभिन्न थानों में लंबित हैं। किसी राजनीतिक उम्मीदवार के खिलाफ इतने सारे आपराधिक मामले होना चुनाव में अपराधियों की भागीदारी पर फिर से एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट दोनों ही राजनीति के आपराधीकरण पर लगाम कसने की बात कर रहे हैं। नामांकन के तुरंत बाद हुई इस कार्रवाई से सासाराम सीट पर राजद की चुनावी रणनीति को बड़ा झटका लगना तय है।
आपकी राय में, चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने वाले दागी उम्मीदवारों पर लगाम कसने और राजनीति के आपराधीकरण को रोकने के लिए भारत के चुनाव आयोग और न्यायपालिका को कौन से दो सबसे प्रभावी और सख्त सुधार लाने चाहिए?
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