Ranchi Tax: सरकार के 2385 करोड़ रुपये फंसे, टैक्स विवाद में जाल
जानिए कैसे राज्य सरकार के 2385 करोड़ रुपये विभिन्न अदालतों में फंसे हुए हैं, और इसके निपटारे के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। टैक्स मामलों में लंबित विवादों की पूरी जानकारी!
राज्य सरकार के सामने राजस्व की वसूली एक बड़ी चुनौती बन गई है। राज्य के विभिन्न अदालतों और न्यायालयों में सरकार के करोड़ों रुपये विवाद में फंसे हुए हैं, जिनमें वैट, जीएसटी और अन्य टैक्स मामलों के विवाद शामिल हैं। 2000 से अधिक मामले लंबित हैं, और कुल मिलाकर 2385.39 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न न्यायालयों में अटकी हुई है। यह स्थिति सरकार के लिए एक गंभीर आर्थिक संकट बन गई है।
2385 करोड़ रुपये का संकट: कैसे फंसी सरकार की बड़ी राशि?
राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ा आर्थिक संकट है। लगभग 2385.39 करोड़ रुपये की रकम विभिन्न अदालतों और न्यायालयों में फंसी हुई है। इनमें वैट, जीएसटी, और अन्य कर विवाद शामिल हैं। यह राशि राज्य सरकार के लिए बहुत मायने रखती है क्योंकि इस रकम का निपटारा होने से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है।
अलग-अलग अदालतों में लटके मामले
विभिन्न अदालतों में लंबित इन मामलों में सबसे अधिक 1555 मामले अपर आयुक्त के अपीलीय न्यायालय में हैं, जिनमें कुल 772.76 करोड़ रुपये का विवाद है। इसके अलावा, हाइकोर्ट में 521 मामले लंबित हैं, जिसमें कुल 1335.47 करोड़ रुपये की राशि अटकी हुई है। और सबसे गंभीर बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में 38 मामले लंबित हैं, जिनमें विभाग का दावा 276.89 करोड़ रुपये का है।
इन लंबित मामलों के कारण राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। इनका निपटारा करने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द इन मामलों का समाधान करें और राज्य सरकार को इन विवादों से बाहर निकाले।
विभागीय अधिकारियों को सक्रिय होने के निर्देश
हाल ही में, वाणिज्य कर विभाग की समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इन मामलों की स्थिति की समीक्षा की थी। समीक्षा के दौरान विभागीय अधिकारियों को इन लंबित मामलों के निपटारे के लिए सक्रिय रूप से काम करने का निर्देश दिया गया। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि इन विवादों का शीघ्र निपटारा हो ताकि सरकार को समय पर राजस्व प्राप्त हो सके।
वन टाइम सेटेलमेंट: क्या फिर से होगा फायदा?
राज्य सरकार ने एक समय पर वन टाइम सेटेलमेंट (OTS) योजना को लागू किया था, जो कि पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव के कार्यकाल के दौरान शुरू हुई थी। इस योजना का उद्देश्य कोर्ट में फंसे मामलों को जल्दी हल करना था। OTS के माध्यम से सरकार ने करदाताओं के साथ सहमति बना कर इन विवादों का निपटारा किया था, और इस प्रक्रिया से 500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था।
डॉ. उरांव ने कहा था, "वर्षों से यह टैक्स मामले विभाग में लटके हुए हैं, और इससे सरकार को भारी नुकसान हो रहा है। सरकार को इसे हल करने के लिए प्रयास करना चाहिए। वन टाइम सेटेलमेंट योजना ने विभाग को बहुत फायदा पहुंचाया था, और यही एक तरीका था जिससे सरकार ने इन विवादों का समाधान किया था।"
क्या वन टाइम सेटेलमेंट फिर से होगा?
अब यह सवाल उठता है कि क्या सरकार एक बार फिर से वन टाइम सेटेलमेंट योजना को लागू करेगी? यदि यह योजना पुनः शुरू होती है, तो इसका राज्य सरकार को भारी लाभ हो सकता है। करदाता और विभाग के बीच सकारात्मक बातचीत के माध्यम से इस विवाद का शीघ्र समाधान किया जा सकता है।
आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?
राज्य सरकार के लिए इन लंबित टैक्स विवादों का समाधान करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार शीघ्र कोई ठोस कदम उठाती है, तो इससे राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। क्या सरकार वन टाइम सेटेलमेंट के रूप में एक नया कदम उठाएगी, या फिर अन्य उपायों को लागू करेगी, यह देखना बाकी है।
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