Ranchi Custody Appeal: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद पूजा सिंघल की रिहाई पर फैसला शनिवार को
रांची की अदालत में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बंद पूजा सिंघल की रिहाई की याचिका पर फैसला शनिवार को। जानें, क्या है नया कानून और ईडी की दलीलें।
रांची: मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पिछले 28 महीनों से जेल में बंद निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल ने नए कानून के तहत अपनी रिहाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उनकी याचिका पर रांची की विशेष पीएमएलए कोर्ट में शनिवार को सुनवाई होगी। शुक्रवार को उनके वकील ने इस मामले में आंशिक बहस की, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अपनी दलीलें शनिवार को पेश करेगा।
कौन हैं पूजा सिंघल?
पूजा सिंघल झारखंड कैडर की 2000 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। उनका करियर विवादों से भरा रहा है। मई 2022 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध खनन मामले में कार्रवाई करते हुए उनकी 19.31 करोड़ की संपत्तियों को जब्त किया था। साथ ही उनके सीए सुमन कुमार के घर से 17.49 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे, जिसने मामले को सुर्खियों में ला दिया।
पूजा सिंघल को उनकी विवादित भूमिकाओं के चलते निलंबित कर दिया गया। वह तब से बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में हैं।
नए कानून का सहारा
पूजा सिंघल के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में किए गए हालिया संशोधन के अनुसार, यदि किसी आरोपी की न्यायिक हिरासत की अवधि उस अपराध की अधिकतम सजा के एक-तिहाई अवधि से अधिक हो जाती है, तो उसे जमानत का हकदार माना जा सकता है।
उन्होंने बताया कि पूजा सिंघल को 28 महीने की हिरासत में रहते हुए न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है।
ईडी का पक्ष और दलीलें
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूजा सिंघल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर सख्त रुख अपनाया है। एजेंसी का दावा है कि सिंघल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए खनन घोटाले और सरकारी धन के दुरुपयोग से संपत्ति अर्जित की।
ईडी की ओर से शनिवार को इस मामले में दलीलें पेश की जाएंगी। अदालत उनके तर्कों को सुनने के बाद ही कोई निर्णय करेगी।
क्या है नया कानून?
2023 में सीआरपीसी में संशोधन किया गया था, जिसके तहत किसी आरोपी को लंबे समय तक हिरासत में रखने के मामलों में राहत प्रदान की जा सकती है। इस संशोधन का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को अधिक समयबद्ध और न्यायपूर्ण बनाना है।
इस कानून के तहत, यदि किसी आरोपी की हिरासत की अवधि उसके संभावित अपराध की अधिकतम सजा के एक-तिहाई से अधिक हो जाती है, तो उसे रिहाई या जमानत देने पर विचार किया जा सकता है।
पूजा सिंघल और झारखंड की राजनीति
झारखंड में पूजा सिंघल का नाम हमेशा से विवादों और घोटालों से जुड़ा रहा है। 2010 में खूंटी जिले में मनरेगा योजना के धन की हेराफेरी के मामले में भी उनका नाम उछला था।
उनके निलंबन और गिरफ्तारी के बाद से झारखंड सरकार पर विपक्ष का दबाव बढ़ गया है। विपक्ष इसे राज्य प्रशासन की विफलता मानता है।
अदालती आदेश पर टिकी निगाहें
इस केस में शनिवार को अदालत का निर्णय अहम होगा। अगर अदालत पूजा सिंघल की याचिका को स्वीकार करती है, तो यह मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में एक नई नज़ीर साबित हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला झारखंड और देश के अन्य राज्यों में निलंबित अधिकारियों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
जेल अधीक्षक का रिपोर्ट और कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार के अधीक्षक से पूजा सिंघल की हिरासत अवधि का पूरा ब्यौरा मांगा था। अधीक्षक ने बताया कि वह पिछले 28 महीनों से जेल में हैं। अदालत इस अवधि और नए कानून के प्रावधानों के आधार पर फैसला करेगी।
क्या कहता है झारखंड का आम जन?
झारखंड के आम लोग इस केस को बड़े ध्यान से देख रहे हैं। लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में कानून को सख्त और निष्पक्ष रहना चाहिए।
एक स्थानीय नागरिक ने कहा:
“अगर ऐसे लोग आसानी से रिहा हो जाते हैं, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी।”
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