RBI Governor: आरबीआई में नेतृत्व का बदलाव, संजय मल्होत्रा ने संभाली कमान
सरकार ने संजय मल्होत्रा को आरबीआई का 26वां गवर्नर नियुक्त किया। जानिए उनके करियर की दिलचस्प बातें, फाइनेंस और टैक्सेशन में उनके योगदान और आरबीआई के नए नेतृत्व से क्या उम्मीदें हैं।
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नया गवर्नर मिल गया है। संजय मल्होत्रा को आरबीआई के 26वें गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। वे मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रहा है। मल्होत्रा 11 दिसंबर से आरबीआई की कमान संभालेंगे।
कैबिनेट ने 9 दिसंबर को उनके नियुक्ति प्रस्ताव को मंजूरी दी। शक्तिकांत दास, जिन्होंने 2018 में उर्जित पटेल के बाद गवर्नर का पद संभाला था, का कार्यकाल तीन बार बढ़ाया गया था। उनका छह साल का कार्यकाल आर्थिक स्थिरता और नीतिगत सुधारों के लिए जाना जाता है।
कौन हैं संजय मल्होत्रा?
संजय मल्होत्रा, राजस्थान कैडर के 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं।
- शिक्षा:
मल्होत्रा ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा, उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, अमेरिका से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री ली है। - अनुभव:
उनका 33 वर्षों का व्यापक अनुभव वित्त, कराधान, सूचना प्रौद्योगिकी, माइंस और पावर जैसे क्षेत्रों में रहा है। वे केंद्र और राज्य सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। - वित्त मंत्रालय में भूमिका:
आरबीआई गवर्नर नियुक्त होने से पहले वे वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में काम कर रहे थे। इसके पहले उन्होंने वित्तीय सेवा विभाग के सचिव के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाई थी।
मल्होत्रा का करियर: क्यों हैं वे खास?
संजय मल्होत्रा का करियर विविधतापूर्ण और उपलब्धियों से भरा रहा है। वित्त और टैक्सेशन के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता उन्हें आरबीआई गवर्नर की भूमिका के लिए बेहद उपयुक्त बनाती है।
- टैक्सेशन सुधार:
राजस्व सचिव के तौर पर उन्होंने कराधान नीतियों को सरल और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। - डिजिटल फाइनेंस:
सूचना प्रौद्योगिकी और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में काम करने के कारण वे डिजिटल ट्रांजेक्शन और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के समर्थक माने जाते हैं।
आरबीआई का भविष्य: क्या बदल सकता है?
संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में आरबीआई की प्राथमिकता आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और डिजिटल वित्तीय संरचना को मजबूत करने पर हो सकती है।
- डिजिटल करेंसी: आरबीआई की डिजिटल रुपया योजना को और तेजी मिलने की संभावना है।
- क्रेडिट सुधार: छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए कर्ज वितरण प्रणाली को सरल बनाया जा सकता है।
- महंगाई नियंत्रण: मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए नए दृष्टिकोण अपनाए जा सकते हैं।
- नीतिगत पारदर्शिता: आरबीआई की नीतियों में पारदर्शिता और संवाद को प्राथमिकता दी जा सकती है।
इतिहास पर एक नजर: आरबीआई गवर्नर का महत्व
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1935 में हुई थी और अब तक 25 गवर्नर इस प्रतिष्ठित पद पर काम कर चुके हैं। आरबीआई गवर्नर का मुख्य कार्य देश की मौद्रिक नीति, बैंकिंग प्रणाली और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है। शक्तिकांत दास का कार्यकाल कोविड महामारी के दौरान आर्थिक सुधार और महंगाई नियंत्रण के लिए जाना जाएगा।
क्या हैं चुनौतियां?
- मुद्रास्फीति: बढ़ती महंगाई पर काबू पाना।
- क्रिप्टोकरेंसी: इस उभरते हुए बाजार के लिए नीतियां बनाना।
- डिजिटल बैंकिंग: देश के ग्रामीण इलाकों में डिजिटल वित्तीय सेवाओं का विस्तार।
संजय मल्होत्रा का आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालना एक नई शुरुआत का संकेत है। उनके अनुभव और नीतिगत दृष्टिकोण से भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे शक्तिकांत दास की विरासत को कैसे आगे बढ़ाते हैं।
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