Nawada Doctor Negligence: Nawada में Health की लापरवाही, डॉक्टर नदारद, तड़पते मरीज की मौत से मचा हड़कंप
Nawada के सिरदला PHC में सड़क हादसे में घायल मरीज को इलाज नहीं मिला। डॉक्टर और स्टाफ गायब, तड़प-तड़प कर हुई मौत। अस्पताल की बदहाली का वीडियो वायरल। पढ़ें पूरी खबर।
"नवादा, बिहार – Nawada जिले के सिरदला प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है। शुक्रवार की शाम, सड़क हादसे में घायल एक मरीज को सिरदला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) लाया गया, लेकिन अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही कोई स्टाफ। इलाज के अभाव में घायल ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। इस घटना ने एक बार फिर से जिले में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है।
कैसे हुआ हादसा?
सड़क हादसे के बाद घायल मरीज को उसके परिजन तुरंत सिरदला PHC लेकर पहुंचे। उम्मीद थी कि प्राथमिक उपचार मिल जाएगा और मरीज की जान बचाई जा सकेगी। लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उन्हें निराशा हाथ लगी। वहां मौजूद सिर्फ खाली कुर्सियां और बंद दरवाजे थे।
परिजन बदहाली और डॉक्टरों की गैरहाजिरी देखकर गुस्से में आ गए। उन्होंने अस्पताल की स्थिति का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो में खाली कुर्सियां, बंद कमरे और अस्पताल में पसरा सन्नाटा साफ देखा जा सकता है।
क्या है सिरदला PHC की स्थिति?
सिरदला PHC, जो उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का मुख्य केंद्र माना जाता है, लंबे समय से कुव्यवस्था का शिकार है। डॉक्टरों और स्टाफ की नियमित अनुपस्थिति, दवाओं की कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने इसे बदहाल बना दिया है।
इससे पहले भी अस्पताल की ऐसी ही लापरवाही कई बार सामने आ चुकी है। लेकिन, प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अस्पताल सिर्फ नाम का है, यहां इलाज के लिए उम्मीद करना बेकार है।
परिजनों का गुस्सा और सवाल
घायल के परिजनों ने इस घटना पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा,
"अगर डॉक्टर और स्टाफ अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकते तो ऐसे अस्पताल का क्या फायदा? आयुष्मान कार्ड का क्या मतलब, जब इलाज ही नहीं हो रहा।"
उनका कहना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही आयुष्मान भारत योजना सिर्फ कागजों तक सीमित है। मरीजों को न तो समय पर इलाज मिलता है और न ही कोई मदद।
वायरल वीडियो से मचा हड़कंप
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। हालांकि, प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन यह सवाल फिर से खड़ा हो गया है कि क्या बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की यही स्थिति बनी रहेगी?
स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल
यह घटना बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली को उजागर करती है। सिरदला जैसे उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही सीमित हैं। ऊपर से डॉक्टरों और स्टाफ की गैरजिम्मेदारी ने हालात और खराब कर दिए हैं।
आयुष्मान कार्ड की विफलता?
सरकार ने गरीब और जरूरतमंद परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। लेकिन इस घटना ने दिखा दिया है कि जमीनी स्तर पर इस योजना का क्रियान्वयन कितना कमजोर है। जब अस्पतालों में डॉक्टर ही मौजूद नहीं होंगे, तो ऐसे कार्ड का क्या फायदा?
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी
वीडियो वायरल होने के बावजूद, जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई की खबर नहीं आई है। सवाल यह है कि ऐसी घटनाओं पर कब तक प्रशासन चुप्पी साधे रहेगा?
क्या होना चाहिए समाधान?
- डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित हो: ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में डॉक्टरों और स्टाफ की उपस्थिति पर सख्त निगरानी रखी जाए।
- आपातकालीन सेवाओं में सुधार हो: हादसे या अन्य आपात स्थितियों में मरीजों को तत्काल इलाज मिलना चाहिए।
- स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी: जिला प्रशासन को समय-समय पर अस्पतालों का निरीक्षण करना चाहिए।
निष्कर्ष
Nawada के सिरदला PHC में हुई इस घटना ने न केवल एक मरीज की जान ली, बल्कि सरकार और प्रशासन की नाकामी को भी उजागर किया। यह समय है कि प्रशासन जागे और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए। वरना, ऐसे मामले ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक कड़वी सच्चाई बनते रहेंगे।
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