Nawada Strike – न्यायालय कर्मियों की हड़ताल से ठप पड़ा कोर्ट, जानिए क्या हैं मांगें?

नवादा व्यवहार न्यायालय के कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से न्यायिक कार्य ठप हो गया है। जानिए, क्या हैं उनकी मांगें और क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं कर्मचारी?

Jan 16, 2025 - 14:47
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Nawada Strike – न्यायालय कर्मियों की हड़ताल से ठप पड़ा कोर्ट, जानिए क्या हैं मांगें?
Nawada Strike – न्यायालय कर्मियों की हड़ताल से ठप पड़ा कोर्ट, जानिए क्या हैं मांगें?

नवादा: बिहार के नवादा व्यवहार न्यायालय में कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है। कारण है न्यायालय कर्मियों का अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल। मंगलवार से शुरू हुई इस हड़ताल के चलते न्यायालय परिसर में सन्नाटा पसरा रहा। न्यायिक कार्यों के बाधित होने से अदालत में आए लोगों को बिना काम किए ही लौटना पड़ा।

यह हड़ताल बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर शुरू हुई है। संघ के जिला इकाई सचिव सत्यानंद झा ने बताया कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी, जब तक उनकी प्रमुख मांगों पर सरकार ध्यान नहीं देती।

क्या हैं कर्मचारियों की प्रमुख मांगें?

न्यायालय कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर साफ तौर पर कहा कि उनकी कई पुरानी मांगें लंबित हैं, जिन पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उनकी मांगें इस प्रकार हैं:

  1. वेतन विसंगति का समाधान: वर्षों से वेतन असमानता बनी हुई है, जिसे ठीक किया जाना चाहिए।
  2. प्रोन्नति का लाभ: तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को समय पर पदोन्नति नहीं मिल रही है।
  3. अनुकंपा पर बहाली: कर्मियों ने अनुकंपा के आधार पर भर्ती की मांग रखी है।
  4. विशेष न्यायिक कैडर: विशेष न्यायिक कैडर की व्यवस्था लागू करने की मांग।

सत्यानंद झा ने बताया कि अन्य सरकारी विभागों में कर्मियों को प्रोन्नति का लाभ मिल रहा है, लेकिन न्यायालय के कर्मियों को अब तक इससे वंचित रखा गया है।

हड़ताल का असर: न्यायालय का कामकाज ठप

इस हड़ताल का सीधा असर न्यायिक कार्यों पर पड़ रहा है।

  • न्यायिक पदाधिकारी और अधिवक्ता कोर्ट पहुंचे, लेकिन आवश्यक दस्तावेजों की कमी के कारण कोई सुनवाई नहीं हो सकी।
  • मुकदमों की सुनवाई बाधित रही, जिससे कई वादी और प्रतिवादी बैरंग लौटने को मजबूर हो गए।

इतिहास और पृष्ठभूमि:

न्यायालय कर्मियों की हड़ताल का इतिहास काफी पुराना है। भारत में कोर्ट कर्मचारियों ने कई बार अपनी वेतन विसंगतियों और प्रोन्नति की मांगों को लेकर आंदोलन किए हैं।

1980 के दशक में भी बिहार और अन्य राज्यों में न्यायालय कर्मचारियों ने कई बड़े प्रदर्शन किए थे, जिसके बाद सरकार ने कुछ सुधार किए थे। हालांकि, कई मांगें आज भी लंबित हैं।

कर्मियों का एकजुट प्रदर्शन:

हड़ताल में शामिल प्रमुख कर्मी:

  • सुभाष चंद्र शर्मा
  • अमित कुमार
  • विद्याव्रत
  • सुबोध कुमार
  • चंदन कुमार शर्मा
  • खुशबू कुमारी
  • कुमारी मधुमिता
  • उमेश ठाकुर
  • जगजीत कुमार
  • पवन कुमार
  • धर्मवीर प्रसाद

इन सभी ने कोर्ट परिसर में एकजुट होकर प्रदर्शन किया और मांगों पर अडिग रहने की बात कही।

आगे क्या?

न्यायालय कर्मियों ने सरकार से अपील की है कि उनकी मांगों पर जल्द विचार किया जाए, ताकि न्यायिक प्रक्रिया सामान्य हो सके।
यदि मांगें पूरी नहीं की गईं, तो कर्मियों ने हड़ताल को लंबा खींचने की चेतावनी भी दी है।

नवादा व्यवहार न्यायालय में जारी यह हड़ताल आम जनता के लिए परेशानी का कारण बन गई है। लोगों को न्यायिक कार्यों में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना होगा कि सरकार कब तक इन मांगों पर विचार करती है और क्या समाधान निकलता है।

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