Nawada Drama: शादी के दो दिन पहले भागी लड़की, दूल्हा का सांवला रंग नहीं था पसंद!
नवादा की लड़की ने शादी के दो दिन पहले घर छोड़ा। वजह? दूल्हे का सांवला रंग! जानें पुलिस ने कैसे उसे ढूंढ निकाला और कोर्ट में क्या दिया बयान।
नवादा, 16 दिसंबर 2024: नवादा जिले के उग्रवाद प्रभावित रूपौ थाना क्षेत्र के सिंघना गांव में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना दिया। शादी के महज दो दिन पहले एक लड़की घर से भाग गई, और वजह थी- दूल्हे का सांवला रंग, जो उसे पसंद नहीं था।
इस घटना ने न केवल परिवार बल्कि गांव और पुलिस को भी सकते में डाल दिया। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और 10 दिनों की मशक्कत के बाद लड़की को बिहारशरीफ में उसकी सहेली के घर से बरामद किया गया।
शादी की तैयारियां और लड़की का फरार होना
यह घटना 4 दिसंबर को होने वाली शादी से पहले 2 दिसंबर को घटी। सिंघना गांव के घर में शादी की तैयारियां जोरों पर थीं। रिश्तेदार आ चुके थे, गाने-बजाने का माहौल था। लेकिन इस खुशी में अचानक खलल पड़ गया जब पता चला कि दुल्हन गायब है।
परिवार में खलबली मच गई। लड़की के माता-पिता ने तुरंत रूपौ थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने तेजी दिखाते हुए जांच शुरू की और मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग के जरिए लड़की के बिहारशरीफ में होने का पता लगाया।
बिहारशरीफ में मिली सहेली के घर
12 दिसंबर को पुलिस ने बिहारशरीफ में लड़की को उसकी सहेली के कमरे से बरामद किया। वह नवादा की ही रहने वाली सहेली के साथ छिपी हुई थी, जो बिहारशरीफ में पढ़ाई कर रही थी।
रूपौ थानाध्यक्ष विनय कुमार ने बताया, "हमने मोबाइल लोकेशन की मदद से लड़की का पता लगाया और बिहारशरीफ पहुंचकर उसे बरामद किया। लड़की का बयान कोर्ट में दर्ज कराया गया और फिर कोर्ट के आदेश पर उसे परिवार को सौंप दिया गया।"
दूल्हा सांवला था, शादी नहीं करनी थी
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि लड़की की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ हो रही थी। लड़की ने पुलिस को बताया, "दूल्हा सांवला था, जो मुझे पसंद नहीं था। मेरे परिवार वाले मुझ पर शादी का दबाव बना रहे थे। मुझे घर से भागने के अलावा कोई और रास्ता नहीं सूझा।"
लड़की ने बताया कि वह अपनी सहेली के पास इसलिए गई ताकि परिवार से दूर रह सके। लेकिन पुलिस ने उसे खोज निकाला और कोर्ट में बयान दर्ज कराने के बाद परिवार को सौंप दिया।
रंगभेद और वैवाहिक दबाव का अनोखा मामला
भारत में वैवाहिक जीवन में गोरे रंग को लेकर विशेष महत्व दिया जाता है। सांवले या गहरे रंग के प्रति अस्वीकार्यता समाज की एक कड़वी सच्चाई है। यह घटना न केवल समाज की सोच पर सवाल उठाती है, बल्कि पारिवारिक दबाव और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच पनपने वाले संघर्ष को भी उजागर करती है।
इससे पहले भी भारत में रंगभेद को लेकर कई विवाद और घटनाएं सामने आ चुकी हैं। वैवाहिक विज्ञापनों में अक्सर 'गोरे रंग' की मांग की जाती है, और इसे सुंदरता का मानक माना जाता है।
गांव में चर्चाओं का दौर
सिंघना गांव में यह घटना चर्चा का मुख्य विषय बन चुकी है। गांव के लोग इसे पारिवारिक प्रतिष्ठा और सामाजिक दबाव से जोड़कर देख रहे हैं। कुछ लोग लड़की के फैसले को गलत ठहरा रहे हैं, जबकि कुछ इसे उसकी व्यक्तिगत पसंद का अधिकार मान रहे हैं।
एक ग्रामीण ने कहा, "यह मामला समाज के सोचने का नजरिया बदल सकता है। लड़की ने जो किया, वह उसके नजरिए से सही हो सकता है, लेकिन यह परिवार के लिए झटका है।"
पुलिस जांच में जुटी
पुलिस ने बताया कि यह मामला पूरी तरह से लड़की और उसके परिवार के बीच का था। लड़की को सुरक्षित बरामद कर लिया गया है, और अब जांच की जा रही है कि कहीं इसमें किसी तरह की साजिश तो नहीं थी।
यह घटना भारतीय समाज के वैवाहिक मानदंडों पर एक गहरी चोट करती है। क्या यह सही है कि किसी की रंगत उसके जीवन साथी चुनने के अधिकार को प्रभावित करे?
लड़की के साहसिक कदम ने इस सवाल को सबके सामने ला खड़ा किया है। क्या समाज रंगभेद से ऊपर उठकर व्यक्तिगत इच्छाओं का सम्मान करना सीखेगा?
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