एमजीएम अस्पताल में वेंटिलेटर न मिलने पर हंगामा, आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता पहुंचे
जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में वेंटिलेटर न मिलने से नवजात शिशु की हालत गंभीर हो गई। इस पर आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में हंगामा किया और सवाल उठाए कि सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर की सुविधा क्यों नहीं है।
जमशेदपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) अस्पताल में एक बार फिर से हंगामा हो गया। सोमवार की रात को, वेंटिलेटर की कमी के कारण एक नवजात शिशु के परिजनों को इलाज में कठिनाई का सामना करना पड़ा। इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
घटना की शुरुआत घाटशिला के सदर अस्पताल से हुई, जहाँ शाहबाज नामक युवक की पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद, बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए, सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल भेजा। परिजन तुरंत नवजात को लेकर एमजीएम अस्पताल पहुंचे, जहाँ उन्हें बताया गया कि बच्चे को वेंटिलेटर की जरूरत है, लेकिन अस्पताल में वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है।
यह सुनकर बच्चे के परिजन हैरान रह गए। अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को सलाह दी कि वे बच्चे को किसी अन्य अस्पताल में ले जाएँ, जहाँ वेंटिलेटर की सुविधा हो। इस बात की सूचना मिलते ही आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता अस्पताल में पहुँचे और उन्होंने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जमकर हंगामा किया।
आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना था कि एमजीएम अस्पताल, जो कोल्हान क्षेत्र का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, वहाँ वेंटिलेटर जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव होना बेहद चिंताजनक है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर प्राइवेट अस्पतालों में वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध हो सकती है, तो सरकारी अस्पतालों में क्यों नहीं? उन्होंने आरोप लगाया कि गरीब परिवारों के लिए यह बहुत बड़ी समस्या है कि उन्हें वेंटिलेटर जैसी जीवनरक्षक सुविधा नहीं मिल पा रही है।
हंगामे के बाद अस्पताल प्रशासन ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की, लेकिन कार्यकर्ताओं ने यह मांग की कि एमजीएम अस्पताल में जल्द से जल्द वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि अगर अस्पताल में इस प्रकार की सुविधाओं की कमी जारी रही, तो भविष्य में और भी बड़े विरोध प्रदर्शन किए जा सकते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब एमजीएम अस्पताल में इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है। पहले भी इस अस्पताल में सुविधाओं की कमी के कारण कई बार मरीजों के परिजनों ने विरोध प्रदर्शन किया है। लेकिन, इस बार आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है और इसे गरीब मरीजों के अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को पहले से ही कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वेंटिलेटर जैसी बुनियादी सुविधा का उपलब्ध न होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या सरकारी अस्पतालों में गरीबों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं? इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं और उनके प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस प्रकार की घटनाएँ दिखाती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की सख्त जरूरत है। सरकारी अस्पतालों को पर्याप्त संसाधन और सुविधाएँ मुहैया करानी चाहिए ताकि गरीब और जरूरतमंद लोगों को बेहतर इलाज मिल सके। अगर सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर जैसी जीवनरक्षक सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होंगी, तो यह जनसामान्य के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एमजीएम अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा जल्द से जल्द उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की दुखद घटनाएँ न हों और गरीब लोगों को भी समय पर उचित इलाज मिल सके।
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