Jharkhand Scam : फर्जी वंशावली के जरिए आदिवासी जमीन पर कब्जा का बड़ा खुलासा
झारखंड में फर्जी वंशावली के सहारे आदिवासी जमीन पर कब्जे का बड़ा खुलासा। जानें कैसे भू-माफिया ने कानून का गलत इस्तेमाल कर सैकड़ों एकड़ जमीन हड़पी।
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झारखंड में आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने के लिए फर्जी वंशावली तैयार करने का एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस खुलासे ने न केवल प्रशासन को हिला कर रख दिया है, बल्कि सीएनटी अधिनियम (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम) के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आदिवासी संपत्ति की रक्षा के लिए बनाए गए इस कानून का उपयोग भू-माफिया खुद आदिवासियों की जमीन हड़पने में कर रहे हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
इस मामले का पर्दाफाश झारखंड के कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, विधायक जिगा सुसारन होरो और विधायक राजेश कच्छप की शिकायत के बाद हुआ। रांची के रातू थाना क्षेत्र के नयाटोली (सिमलिया) की जमीन से जुड़े इस मामले में कई फर्जी दस्तावेज और वंशावली का उपयोग कर आदिवासी जमीन गैर-आदिवासियों के नाम पर बेची गई।
विधायकों ने दक्षिणी छोटानागपुर आयुक्त को इस मामले में शिकायत दी, जिसमें कई खाता और वादों की सूची भी संलग्न की गई। शिकायत के मुताबिक, सैकड़ों एकड़ जमीन फर्जी वंशावली के आधार पर हड़पी गई है।
क्या है सीएनटी अधिनियम?
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act) झारखंड में आदिवासी भूमि की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन के दौरान 1908 में लागू किया गया था। इस कानून के तहत आदिवासी जमीन केवल आदिवासियों को ही बेची जा सकती है। लेकिन भू-माफिया फर्जी वंशावली बनाकर इस कानून को तोड़ते हुए जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।
फर्जीवाड़े का तरीका
जांच में पता चला है कि फर्जी वंशावली के जरिए जमीन के असली मालिकों की पहचान को बदला गया। शिकायत में बिशु उरांव और जगन्नाथ उरांव के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर सिमलिया और हरमू मौजा की जमीनों के लिए अलग-अलग मामलों में वंशावली को गलत तरीके से पेश किया।
- सिमलिया मौजा के खाता नंबर 158 में, फर्जी वंशावली के सहारे जमीन की बिक्री की गई।
- हरमू मौजा में खाता नंबर 53 की जमीन के लिए भी फर्जी वंशावली प्रस्तुत की गई।
जांच की प्रक्रिया शुरू
कल्याण मंत्री ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है। यह भी कहा जा रहा है कि ऐसी और भी कई शिकायतें आ सकती हैं, जिनमें भू-माफिया और अफसरों की मिलीभगत से जमीन पर कब्जा किया गया है।
इतिहास से वर्तमान तक
झारखंड के आदिवासी क्षेत्र हमेशा से ही बाहरी हस्तक्षेप और भूमि विवादों के शिकार रहे हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान बने कानूनों ने आदिवासियों को उनकी जमीन का हक दिया, लेकिन आज यही कानून भू-माफिया और भ्रष्टाचार के कारण कमजोर हो गए हैं।
भविष्य की राह
इस खुलासे के बाद सरकार और प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। स्थानीय विधायकों ने मांग की है कि:
- सभी संदिग्ध मामलों की गहन जांच की जाए।
- दोषी अधिकारियों और भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
- सीएनटी अधिनियम को सख्ती से लागू किया जाए।
झारखंड में फर्जी वंशावली के जरिए आदिवासी जमीनों पर कब्जे का यह मामला राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार और कानून की कमजोरियों को उजागर करता है। यह जरूरी है कि सरकार इस मामले में तेजी से कार्रवाई करे और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाए।
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