Jharkhand Minor Abuse Case : नाबालिग से दुष्कर्म और वीडियो वायरल, कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
झारखंड में नाबालिग से दुष्कर्म और वीडियो वायरल करने के मामले में दोषी को 20 साल की सजा। कोर्ट ने पीड़िता के पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता का भी आदेश दिया।
झारखंड के हनवारा थाना क्षेत्र में 16 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म और वीडियो वायरल करने का मामला चर्चा में है। कोर्ट ने इस जघन्य अपराध के दोषी को कड़ी सजा देकर न्याय का उदाहरण पेश किया है।
आरोपी की पृष्ठभूमि और घटना का विवरण
दोषी, बिहार के सीतामढ़ी जिले के ननकारा विशंभरपुर का निवासी, मोहम्मद शहाबुद्दीन अंसारी, लुधियाना की एक कंपनी में पीड़िता के पिता के साथ काम करता था। इस दौरान उसने पीड़िता से फोन पर बात करनी शुरू की। नवंबर 2023 में उसने पीड़िता के घर पहुंचकर जबरन दुष्कर्म किया और अश्लील वीडियो बना लिया।
वीडियो वायरल और धमकियों का सिलसिला
आरोपी ने पीड़िता पर शादी का दबाव बनाने के लिए उसे लगातार धमकियां दीं। फरवरी 2024 में उसने अश्लील वीडियो फेसबुक और इंस्टाग्राम पर वायरल कर दिया, जिससे पीड़िता को मानसिक आघात पहुंचा।
प्रशासन और न्यायालय की भूमिका
हनवारा थाना में दर्ज मामले की सुनवाई विशेष पॉक्सो कोर्ट में हुई। अभियोजन पक्ष ने 8 गवाह पेश किए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश पवन कुमार ने आरोपी को 20 साल सश्रम कारावास और 1,50,000 रुपये जुर्माना भरने की सजा सुनाई।
सजा और मुआवजा: ऐतिहासिक फैसला
- दुष्कर्म का आरोप: 20 साल की सश्रम कारावास और 1.5 लाख रुपये जुर्माना।
- वीडियो वायरल का आरोप: 3 साल की सजा और 10,000 रुपये जुर्माना।
- आईटी एक्ट के तहत: 2 साल की अतिरिक्त सजा।
कोर्ट ने आदेश दिया कि जुर्माने की राशि पीड़िता के पुनर्वास के लिए दी जाएगी। साथ ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।
ऐसे मामलों से सीख
यह मामला सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि समाज को एक सीख देने वाला है। महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ बढ़ते अपराधों के बीच यह फैसला न्याय की उम्मीद जगाता है।
पॉक्सो एक्ट: एक संक्षिप्त इतिहास
भारत में बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए 2012 में पॉक्सो एक्ट लागू किया गया। यह कानून बच्चों को सुरक्षित माहौल देने और अपराधियों को कड़ी सजा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया। इस कानून के तहत अपराधियों के खिलाफ तेज और सख्त कार्रवाई की जाती है।
समाज की भूमिका
ऐसे मामलों में समाज की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। पीड़ितों को न्याय दिलाने के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक सहारे की भी जरूरत होती है।
झारखंड की इस घटना ने कानून व्यवस्था और समाज को जागरूक किया है। अपराधियों को सख्त सजा देना और पीड़ितों को सहारा देना ही न्याय का असली उद्देश्य है।
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