Jharkhand Attack झारखंड में नक्सलियों की साजिश नाकाम! जंगल में छुपाया था बड़ा खतरा

झारखंड के सारंडा जंगल में नक्सलियों की खतरनाक साजिश को सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया। दो आईईडी बरामद कर बम निरोधक दस्ते ने किया डिफ्यूज। जानिए पूरा मामला।

Feb 17, 2025 - 19:26
 0
Jharkhand Attack झारखंड में नक्सलियों की साजिश नाकाम! जंगल में छुपाया था बड़ा खतरा
Jharkhand Attack झारखंड में नक्सलियों की साजिश नाकाम! जंगल में छुपाया था बड़ा खतरा

झारखंड के सारंडा जंगल में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की एक बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया है। सोमवार को चलाए गए सर्च ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने दो आईईडी बरामद किए, जिन्हें नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए जंगलों और पहाड़ियों के बीच लगाया था।

गुवा थाना क्षेत्र के गुवा और रोवाम रोड के बीच गंगदा के पास से ये घातक विस्फोटक बरामद किए गए। जानकारी के मुताबिक, इसे नक्सली संगठन ने सुरक्षाबलों पर हमला करने के लिए बिछाया था, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से यह प्लान फेल हो गया। बम निरोधक दस्ते ने मौके पर ही इन आईईडी को नष्ट कर दिया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।

कैसे हुआ ऑपरेशन, कहां छुपे हैं नक्सली?

एसपी आशुतोष शेखर के निर्देश पर सुरक्षाबलों ने सोमवार को यह ऑपरेशन चलाया। इसके तहत गंगदा के जंगलों और पहाड़ियों में सर्च अभियान तेज किया गया। इस दौरान खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर दो शक्तिशाली आईईडी बरामद किए गए।

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, यह नक्सली नेता अजय महतो और उसके दस्ते द्वारा लगाया गया था। महतो के साथ मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछु, अनल, असीम मंडल, अजय महतो, सागेन अंगरिया और अश्विन जैसे टॉप नक्सली कमांडर इस इलाके में सक्रिय हैं और विध्वंसक गतिविधियों की योजना बना रहे हैं।

सारंडा जंगल: नक्सलियों की गुप्त शरणस्थली

सारंडा जंगल झारखंड और ओडिशा की सीमा पर स्थित एक घना जंगल क्षेत्र है। यह इलाका लंबे समय से नक्सलियों की शरणस्थली रहा है।

  • यह इलाका पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है, जिससे नक्सलियों को छुपने और हमला करने में आसानी होती है।
  • नक्सली अक्सर इस क्षेत्र में आईईडी प्लांट करके सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं।
  • 2000 के दशक में यह इलाका नक्सल गतिविधियों का गढ़ बन गया था, जहां कई बड़े हमले हुए हैं।

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई से नक्सली नेटवर्क कमजोर हुआ है, लेकिन फिर भी ये संगठन छिपकर हमले की साजिश रचते रहते हैं।

सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई जारी

खुफिया इनपुट्स के आधार पर सुरक्षाबलों ने गुवा थाना क्षेत्र और उसके आसपास के पहाड़ी इलाकों में तलाशी अभियान तेज कर दिया है।

  1. ड्रोन सर्विलांस: जंगल में नक्सलियों की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
  2. संयुक्त ऑपरेशन: CRPF, झारखंड पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां मिलकर ऑपरेशन चला रही हैं।
  3. आईईडी स्कैनिंग: पूरे इलाके में और भी आईईडी की तलाश की जा रही है ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो।

क्यों लगाते हैं नक्सली आईईडी?

आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) नक्सलियों का पसंदीदा हथियार बन चुका है। इसकी वजह यह है कि:

  • छुपाकर लगाना आसान होता है।
  • कम संसाधनों में ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
  • सुरक्षाबलों की मूवमेंट को रोकने के लिए प्रभावी हथियार है।

लेकिन इस बार नक्सलियों की यह साजिश नाकाम रही।

क्या झारखंड में नक्सलवाद खत्म हो रहा है?

झारखंड में नक्सलवाद का इतिहास 1970 के दशक से शुरू होता है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार और सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।

नक्सल मूवमेंट कमजोर पड़ा है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
सुरक्षाबलों की कार्रवाई और विकास कार्यों के चलते कई इलाकों में नक्सली प्रभाव कम हुआ है।
लेकिन सारंडा, कोल्हान और अन्य जंगलों में अभी भी नक्सली अपनी गतिविधियां चला रहे हैं।

बड़ी साजिश नाकाम, लेकिन खतरा बरकरार!

झारखंड में सुरक्षाबलों की इस सफलता से एक बड़ा हादसा टल गया, लेकिन यह साफ है कि नक्सली अभी भी सक्रिय हैं और हमलों की फिराक में हैं।

सरकार और सुरक्षा एजेंसियां लगातार ऑपरेशन चला रही हैं, लेकिन नक्सल प्रभावित इलाकों में पूरी तरह से शांति लाने के लिए लंबी लड़ाई अभी बाकी है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।