Safar-E-Shahadat: Jamshedpur में ‘सफर-ए-शहादत’ शोभा यात्रा का आगाज, शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि!
जमशेदपुर में शहीदी सप्ताह ‘सफर-ए-शहादत’ की शुरुआत शोभा यात्रा से हुई। जानें, कैसे यह आयोजन शहीदों की शहादत को सम्मानित करने के लिए मनाया गया।
जमशेदपुर में एक ऐतिहासिक और भावनात्मक अवसर के रूप में ‘सफर-ए-शहादत’ का आगाज हुआ। यह आयोजन शहीदी सप्ताह के तहत हर साल 21 से 27 दिसंबर तक मनाया जाता है, जो सिखों के इतिहास में महत्वपूर्ण है। इस दौरान, विशेष रूप से धर्म की रक्षा हेतु बलिदान देने वाले चार साहिबजादों की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। रविवार को शोभा यात्रा के साथ इस सप्ताह की शुरुआत की गई, जो न केवल एक श्रद्धांजलि थी, बल्कि सिख धर्म की गहरी जड़ों और वीरता की मिसाल भी थी।
शोभा यात्रा में गूंजे ‘प्रणाम शहीदां नु’ के उद्घोष!
‘सफर-ए-शहादत’ की शोभा यात्रा का उद्घाटन जमशेदपुर के मानगो गुरुद्वारा से हुआ। इस यात्रा का उद्देश्य धर्म के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले साहिबजादों को सम्मानित करना था। यात्रा के दौरान "प्रणाम शहीदां नु" और "नूर ए इलाही संत सिपाही" के उद्घोष गूंजते रहे, जो पूरे माहौल को पवित्र बना रहे थे। खास बात यह थी कि इस शोभा यात्रा में सिख महिलाओं की संख्या ज्यादा थी, जो गुरबानी कीर्तन करती हुई यात्रा के साथ चल रही थीं। उनका भक्ति भाव और श्रद्धा सभी को एक नई ऊर्जा दे रहे थे।
धर्म के रक्षकों को श्रद्धांजलि – रक्तदान और नेत्र शिविर का आयोजन
इस यात्रा के दौरान धर्म की रक्षा करने वाले शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए 91 यूनिट रक्तदान किया गया। यह रक्तदान सिख समाज के समर्पण और सेवा भाव का प्रतीक था। साथ ही, संजीवनी नेत्रालय के सहयोग से नेत्र जांच शिविर का आयोजन भी किया गया, जिसमें 69 लोगों की नेत्र जांच की गई। यह सभी कार्य इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए किए गए थे कि लोग धर्म की रक्षा में अपने योगदान के रूप में सेवा प्रदान करें।
शोभा यात्रा का मार्ग – एक ऐतिहासिक यात्रा
‘सफर-ए-शहादत’ की शोभा यात्रा मानगो गुरुद्वारा से शुरू होकर मानगो चौक, डिमना रोड, गोल्डी होटल गोलचक्कर, मस्जिद रोड होते हुए वापस मानगो गुरुद्वारा में समाप्त हुई। इस यात्रा में पंज प्यारे और बीबियां कृपाण लेकर शामिल हुईं, जबकि दसों गुरुओं की जोत धन धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब पालकी साहिब में विराजमान थी। गतका पार्टी और बैंड पार्टी ने भी शोभा यात्रा में भाग लिया और वातावरण को और भी रोचक और समर्पित बना दिया।
सिख शहीदों की गाथा – सुखप्रीत सिंह उधोके की कथा
इस शहीदी सप्ताह के दौरान 22 और 23 दिसंबर को मानगो गुरुद्वारा में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। 24 से 27 दिसंबर तक साकची गुरुद्वारा मैदान में महान कीर्तन दरबार और सुखप्रीत सिंह उधोके द्वारा साहिबजादों और अन्य सिख शहीदों की शहादत की गाथाएं प्रस्तुत की जाएंगी। ये आयोजन शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक होंगे, जिसमें जमशेदपुर के कीर्तनीये संगत शबद कीर्तन से वातावरण को भक्तिमय करेंगे।
‘सफर-ए-शहादत’ का महत्व और गुरु का संदेश
सीजीपीसी के प्रधान सरदार भगवान सिंह और महासचिव जसवंत सिंह जस्सू ने इस अवसर पर गुरु की महिमा और साहिबजादों की शहादत के महत्व पर प्रकाश डाला। भगवान सिंह ने कहा कि आज हम जो भी स्वतंत्रता और धार्मिक अस्तित्व का अनुभव कर रहे हैं, वह केवल और केवल गुरु महाराज के सपूतों, चारों साहिबजादों के बलिदान का परिणाम है। इस अवसर पर सभी से अपील की गई कि वे स्वयं ‘सफर-ए-शहादत’ में शामिल हों और बच्चों को भी इस महान अभियान का हिस्सा बनाएं।
समाप्ति और भविष्य की दिशा
शहीदी सप्ताह के इस आयोजन में सभी ने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया और शहीदों की शहादत को याद किया। शहीदी सप्ताह ‘सफर-ए-शहादत’ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सिख समाज की एकजुटता और बलिदान के प्रतीक रूप में भी सामने आता है। यह आयोजन हर साल सिख धर्मावलंबियों के लिए एक खास अवसर बनता है, जहां वे अपने पूर्वजों की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और अपने धर्म के प्रति अपनी निष्ठा को और मजबूत करते हैं।
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