Jamshedpur Elephant Attack: चाकुलिया के आंगनबाड़ी केंद्र में घुसा हाथी, दीवार तोड़कर खाया चावल

चाकुलिया के खाड़बंदा गांव में हाथी ने आंगनबाड़ी केंद्र पर हमला कर दीवार तोड़ दी और चावल खा लिया। जानिए कैसे ग्रामीणों ने मशाल जलाकर हाथी को भगाया।

Jan 22, 2025 - 13:39
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Jamshedpur Elephant Attack: चाकुलिया के आंगनबाड़ी केंद्र में घुसा हाथी, दीवार तोड़कर खाया चावल
Jamshedpur Elephant Attack: चाकुलिया के आंगनबाड़ी केंद्र में घुसा हाथी, दीवार तोड़कर खाया चावल

झारखंड के चाकुलिया प्रखंड में हाथी आतंक ने एक बार फिर से ग्रामीणों को भयभीत कर दिया है। मंगलवार की रात लोधाशोली पंचायत के खाड़बंदा गांव में एक जंगली हाथी ने आंगनबाड़ी केंद्र पर हमला कर दिया। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह जंगल से सटे इलाकों में हाथी-मानव संघर्ष की बढ़ती समस्या को भी उजागर करती है।

घटना का विवरण

खाड़बंदा गांव की निवासी रेणुका गोप, जो आंगनबाड़ी सेविका हैं, ने बताया कि देर रात करीब दो बजे हाथी उनके घर में घुस आया। उनका घर, जहां आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित होता है, मिट्टी की दीवारों से बना हुआ है। हाथी ने दीवार तोड़कर केंद्र में रखे छह बोरे चावल खा लिए और शेष चावल इधर-उधर बिखेर दिए।

परिवार ने कैसे बचाई अपनी जान?

हाथी के अचानक आक्रमण से रेणुका गोप और उनका परिवार घबरा गया। उन्होंने अपने पति संतोष गोप और दो बेटियों के साथ किसी तरह घर छोड़कर भागकर अपनी जान बचाई। ग्रामीणों ने मशाल जलाकर हाथी को जंगल की ओर भगाने का प्रयास किया।

ग्रामीणों में फैला भय

हाथी के हमले के बाद खाड़बंदा गांव के लोग डरे हुए हैं। घटना के बाद हाथी पास के जंगल में शरण लिए हुए है, जिससे ग्रामीणों को हर समय हमले का डर सताता है।

झारखंड और हाथी-मानव संघर्ष का इतिहास

झारखंड के जंगल हाथियों के प्राकृतिक आवास रहे हैं। यहां के जंगली इलाकों में हाथी और इंसानों के बीच संघर्ष की घटनाएं अक्सर होती हैं। चाकुलिया प्रखंड, जो जंगल से सटा हुआ क्षेत्र है, हमेशा से हाथियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। खासकर, फसलों की कटाई के मौसम में हाथियों का झुंड अक्सर खाने की तलाश में गांवों में प्रवेश करता है।

हाल के वर्षों में जंगलों की कटाई और प्राकृतिक आवास के नष्ट होने के कारण हाथी भोजन और पानी के लिए गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। यह घटना इस बात का सबूत है कि इंसानों और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

क्या कहती है वन विभाग?

वन विभाग ने हाथी की उपस्थिति को लेकर ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है। वन विभाग का कहना है कि जल्द ही हाथी को जंगल के गहरे हिस्सों में भगाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। ग्रामीणों को रात में मशाल जलाकर सतर्क रहने और समूह में रहने की सलाह दी गई है।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

घटना के बाद गांव के लोगों में आक्रोश और डर दोनों देखने को मिला। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और वन विभाग को हाथी-मानव संघर्ष को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

हाथी-मानव संघर्ष के समाधान के उपाय

  1. प्राकृतिक आवास की सुरक्षा: जंगलों की कटाई रोककर हाथियों के लिए पर्याप्त भोजन और पानी का प्रबंध किया जाना चाहिए।
  2. सतर्कता अभियान: गांवों में जागरूकता फैलाने और सतर्कता अभियान चलाने की जरूरत है।
  3. अलर्ट सिस्टम: वन विभाग को हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने और समय रहते अलर्ट जारी करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
  4. मुआवजा योजना: फसल और संपत्ति के नुकसान के लिए उचित मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए।

ग्रामीणों के लिए सलाह

  • रात में समूह में रहें और मशाल जलाकर सतर्क रहें।
  • वन विभाग से संपर्क में रहें और हाथी की उपस्थिति के बारे में तुरंत सूचित करें।
  • घरों को मजबूत बनाएं और खाने का सामान सुरक्षित स्थान पर रखें।

यह घटना झारखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष का एक और उदाहरण है। खाड़बंदा गांव के लोगों ने अपनी सूझबूझ और हिम्मत से एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया। लेकिन यह घटना बताती है कि वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की तत्काल आवश्यकता है।

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