Jamshedpur Training Session: रेबीज जागरूकता पर टाटा स्टील का बड़ा कदम!
जमशेदपुर में टाटा स्टील UISL ने रेबीज जागरूकता प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया। जानिए कैसे ये पहल 2030 तक शून्य रेबीज के राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करने में मदद कर रही है।
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जमशेदपुर, 8 जनवरी 2025: टाटा स्टील यूआईएसएल ने रेबीज के खतरों से बचाव और रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रशिक्षकों के लिए विशेष रेबीज जागरूकता प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया। इस सत्र का उद्देश्य प्रशिक्षकों को रेबीज के लक्षण, रोकथाम, टीकाकरण प्रोटोकॉल और बचाव के उपायों पर विस्तार से जानकारी देना था।
यह पहल भारत सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य "2030 तक शून्य रेबीज" को समर्थन देने के उद्देश्य से आयोजित की गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 58 प्रशिक्षकों ने भाग लिया। अब ये प्रशिक्षक आगे स्कूली छात्रों और समाज के अन्य वर्गों को रेबीज के प्रति जागरूक करेंगे, जिससे एक सतर्क और जागरूक समुदाय का निर्माण होगा।
रेबीज: जानलेवा बीमारी लेकिन 100% रोकी जा सकती है!
रेबीज एक वायरल संक्रमण है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। इसका वायरस रैबडोवायरस परिवार से संबंधित है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। अगर समय रहते इलाज न मिले, तो यह बीमारी लगभग 100% घातक साबित होती है।
भारत में प्राचीन काल से जानवरों और इंसानों के संबंध देखे जाते हैं। हालांकि, रेबीज का पहला आधुनिक मामला 19वीं शताब्दी में रिपोर्ट किया गया था। इसके बाद से लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में यह बीमारी गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है।
प्रशिक्षण सत्र की मुख्य बातें
इस जागरूकता कार्यक्रम में निम्नलिखित विषयों को शामिल किया गया:
- रेबीज क्या है: इसका कारण, संचरण और इंसान एवं पशु स्वास्थ्य पर प्रभाव।
- टीकाकरण प्रोटोकॉल: रेबीज से पहले और बाद में आवश्यक टीकाकरण प्रक्रिया।
- लक्षण पहचान: रेबीज के शुरुआती चेतावनी संकेत और संक्रमण की प्रगति।
- क्या करें और क्या न करें: जोखिम कम करने के लिए आवश्यक सावधानियां और संभावित जोखिम के दौरान आवश्यक कदम।
टाटा स्टील UISL का स्वास्थ्य मिशन
टाटा स्टील, भारत की अग्रणी स्टील निर्माण कंपनियों में से एक, हमेशा सामुदायिक कल्याण और स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध रही है। कंपनी ने इससे पहले भी पोलियो उन्मूलन, स्वच्छ भारत अभियान जैसे कई स्वास्थ्य अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस बार का रेबीज जागरूकता सत्र न केवल एक स्वास्थ्य कार्यक्रम था, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है। प्रशिक्षकों को इस तरह प्रशिक्षित किया गया कि वे स्कूलों और स्थानीय समुदायों में रेबीज के खिलाफ सशक्त जागरूकता अभियान चला सकें।
रेबीज को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास क्यों जरूरी?
भारत में हर साल हजारों लोग रेबीज से पीड़ित होते हैं, जिनमें से अधिकांश मामले कुत्तों के काटने से जुड़े होते हैं। इसके बावजूद, टीकाकरण और जागरूकता की कमी के कारण लोग समय पर इलाज नहीं करा पाते।
2030 तक शून्य रेबीज का लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है जब:
- स्कूली बच्चों में जागरूकता फैलाई जाए।
- समुदाय स्तर पर मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाए जाएं।
- प्रशिक्षकों को पूरी जानकारी दी जाए।
समाज को क्या सीखना चाहिए?
- किसी भी जानवर के काटने के बाद तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- रेबीज के लक्षण जैसे पानी से डरना, अजीब व्यवहार, बुखार आदि को नज़रअंदाज़ न करें।
- पशु टीकाकरण को प्राथमिकता दें।
सामूहिक प्रयासों की जरूरत
टाटा स्टील यूआईएसएल द्वारा आयोजित यह सत्र सामुदायिक सुरक्षा और जागरूकता का एक बेहतरीन उदाहरण है। जब पूरे समाज में सही जानकारी और समय पर कार्रवाई का संदेश पहुंचेगा, तभी 2030 तक शून्य रेबीज का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
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