Jamshedpur Protest: एक्सएलआरआई गेट पर 6 घंटे तक हंगामा, मुआवजा मिलने तक नहीं उठाया शव!

जमशेदपुर में एक्सएलआरआई परिसर में काम के दौरान करंट लगने से मजदूर पान सरदार की मौत। गुस्साए लोगों ने छह घंटे तक गेट जाम रखा, मुआवजा मिलने के बाद शव उठाया गया। पढ़ें पूरी खबर!

Mar 2, 2025 - 14:02
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Jamshedpur Protest: एक्सएलआरआई गेट पर 6 घंटे तक हंगामा, मुआवजा मिलने तक नहीं उठाया शव!
Jamshedpur Protest: एक्सएलआरआई गेट पर 6 घंटे तक हंगामा, मुआवजा मिलने तक नहीं उठाया शव!

जमशेदपुर में एक दर्दनाक हादसे के बाद गुस्साए लोगों ने एक्सएलआरआई के गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। बेल्डीह ग्राम बस्ती की रहने वाली पान सरदार की करंट लगने से मौत हो गई, जिसके बाद परिजनों और ग्रामीणों ने मुआवजा मिलने तक शव उठाने से इनकार कर दिया। शनिवार को करीब छह घंटे तक विरोध प्रदर्शन चला, जिससे इलाके में तनाव का माहौल बन गया।

मुआवजे को लेकर ठेकेदार और परिजनों के बीच लंबी बातचीत चली, जिसके बाद आठ लाख रुपये के मुआवजे पर सहमति बनी। ठेकेदार ने मृतका के माता-पिता को एक लाख रुपये नकद और सात लाख रुपये का चेक सौंपा। मुआवजा मिलने के बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ और शव को उठाया गया।

कैसे हुआ हादसा? काम करते वक्त करंट से गई जान!

बेल्डीह ग्राम बस्ती की रहने वाली पान सरदार अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी और मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाती थी। शुक्रवार को वह एक्सएलआरआई परिसर में निर्माण कार्य कर रही थी, तभी करंट लगने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई। साथी मजदूरों ने उसे टाटा मेन हॉस्पिटल (TMH) पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिजनों का कहना था कि जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, वे शव को नहीं उठाएंगे। इस फैसले के चलते शनिवार को सुबह 8:30 बजे से ही एक्सएलआरआई के गेट पर लोगों की भारी भीड़ जुट गई। गुस्साए लोगों ने गेट को जाम कर दिया और ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाया।

इतिहास में ऐसे हादसों पर क्यों नहीं होती कार्रवाई?

भारत में मजदूरों की सुरक्षा हमेशा से एक गंभीर मुद्दा रहा है। हर साल हजारों मजदूर काम के दौरान अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन लापरवाह ठेकेदार और कंपनियां बच निकलती हैं। औद्योगिक शहरों में मजदूरों की स्थिति हमेशा दयनीय रही है। सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता, जिससे ऐसे हादसे लगातार होते रहते हैं।

पान सरदार की मौत ने एक बार फिर इस सवाल को खड़ा कर दिया कि आखिर मजदूरों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम कब उठाए जाएंगे? अगर सही समय पर उचित सुरक्षा उपाय होते, तो शायद यह हादसा टल सकता था।

मुआवजा मिलने के बाद हुआ अंतिम संस्कार, पर नहीं हुआ पोस्टमार्टम!

गुस्साए लोगों के विरोध और घंटों की बातचीत के बाद मुआवजा तो मिल गया, लेकिन शनिवार को शव का पोस्टमार्टम नहीं हो सका। शाम होने की वजह से प्रक्रिया टाल दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि अगर ठेकेदार पहले ही उचित कार्रवाई करता, तो यह प्रदर्शन नहीं होता।

इस घटना ने मजदूरों की सुरक्षा और मुआवजा नीति को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। सरकार और प्रशासन को अब इस मामले में कठोर कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसे हादसे दोबारा न हों।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।