जमशेदपुर पूर्वी से समाजसेवी कंचन सिंह का बड़ा दांव: महिला सशक्तिकरण और बदलाव की गूंज!

जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय उम्मीदवार कंचन सिंह का नामांकन, महिलाओं के लिए विश्व विद्यालय बनाने और क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान का संकल्प। क्या जनता देगी साथ?

Oct 25, 2024 - 11:18
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जमशेदपुर पूर्वी से समाजसेवी कंचन सिंह का बड़ा दांव: महिला सशक्तिकरण और बदलाव की गूंज!
जमशेदपुर पूर्वी से समाजसेवी कंचन सिंह का मैदान में कदम, क्या बनेगी महिलाओं की आवाज?

जमशेदपुर: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की बयार में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से समाजसेवी एवं निर्दलीय प्रत्याशी कंचन सिंह ने अपने नामांकन के साथ चुनावी मुकाबले में एक नया मोड़ ला दिया है। समाज सेवा में सक्रिय और महिलाओं की समस्याओं को लेकर समर्पित कंचन सिंह इस बार जमशेदपुर पूर्वी की सीट से चुनावी दंगल में उतरी हैं, और उनका मुख्य एजेंडा महिलाओं के हक और सशक्तिकरण पर आधारित है।

कौन हैं कंचन सिंह?

कंचन सिंह का नाम जमशेदपुर पूर्वी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में समाजसेवी कार्यों के लिए जाना जाता है। कोविड-19 महामारी के दौरान भी जब लोग परेशानियों से जूझ रहे थे, कंचन सिंह ने आगे बढ़कर गरीबों को भोजन और आवश्यक सामग्री प्रदान की। महिलाओं की आवाज़ बनने की दिशा में हमेशा तत्पर कंचन सिंह के कार्यों ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है।

नामांकन के दौरान बोले कंचन सिंह

नामांकन प्रक्रिया के बाद जब मीडिया ने उनसे उनके चुनावी मुद्दों के बारे में पूछा, तो उन्होंने नारी सशक्तिकरण को अपनी प्राथमिकता बताया। उनका कहना है, "मेरा पहला सपना है कि जमशेदपुर पूर्वी में एक महिला विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए, ताकि हमारे क्षेत्र की बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए कहीं बाहर न जाना पड़े।"

उनके मुताबिक जमशेदपुर पूर्वी में कई समस्याएँ हैं, जिन्हें आज तक किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। चाहे वो आधारभूत सुविधाओं की कमी हो या युवाओं के लिए रोजगार का अभाव, कंचन सिंह का मानना है कि ये सभी मुद्दे उनकी सूची में प्रमुख स्थान रखते हैं और इनका समाधान करना ही उनकी प्राथमिकता है।

महिला सशक्तिकरण और शिक्षा पर फोकस

कंचन सिंह का अभियान मुख्य रूप से महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और रोजगार के अवसरों के इर्द-गिर्द घूमता है। उनका मानना है कि जमशेदपुर पूर्वी की महिलाएं आज भी कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं, और एक महिला विश्वविद्यालय की स्थापना उनके आत्मसम्मान और आर्थिक मजबूती को बढ़ावा देगी।

विकास की राह में क्षेत्र की समस्याएं

कंचन सिंह ने क्षेत्र के उन मुद्दों पर भी प्रकाश डाला जो आज तक अनदेखे रहे हैं। वह कहती हैं, "आज तक कई विधायक आए और गए, लेकिन जमशेदपुर पूर्वी की समस्याएं वहीँ की वहीँ हैं। लोगों को मूलभूत सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ रहा है।" उन्होंने यह भी कहा कि वह हर उस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेंगी जिसे आज तक उपेक्षित रखा गया है, और उनकी कोशिश रहेगी कि क्षेत्र की जनता को एक बेहतर भविष्य मिले।

महिला मतदाताओं में उत्साह

कंचन सिंह की उम्मीदवारी से क्षेत्र की महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। उनकी पहल और महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करने की प्रतिबद्धता ने महिलाओं में नई उम्मीद जगा दी है। उनके कई समर्थक मानते हैं कि वह जमशेदपुर पूर्वी के विकास के लिए सही उम्मीदवार साबित हो सकती हैं।

निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनौती

हालांकि, निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ना किसी भी उम्मीदवार के लिए आसान नहीं होता। लेकिन कंचन सिंह को अपने समाजसेवी कार्यों और क्षेत्र में उनकी सक्रियता का भरोसा है। उनका मानना है कि जनता के दिलों में उनके द्वारा किए गए कार्यों की छाप उनके लिए चुनावी मैदान में बड़ी मददगार साबित होगी। कंचन सिंह का कहना है कि उन्हें किसी पार्टी के बैनर की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनके कार्य ही उनकी पहचान हैं।

अगले चरण का इंतजार

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को होना है, और 23 नवंबर को चुनावी परिणाम आएंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जमशेदपुर पूर्वी की जनता कंचन सिंह के समर्थन में अपनी वोटों की ताकत दिखाएगी।

कंचन सिंह के चुनावी मैदान में उतरने से जमशेदपुर पूर्वी की राजनीतिक तस्वीर में नया मोड़ आ गया है। यदि वह जीतती हैं, तो यह महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है, और जमशेदपुर पूर्वी में विकास की नई राह खोलने में सहायक हो सकता है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।