सरायकेला की सीट पर झामुमो का बड़ा दांव, भाजपा के गणेश महाली से होगी चम्पाई सोरेन की टक्कर!
सरायकेला की सीट पर झामुमो ने गणेश महाली को उतारकर बड़ा दांव खेला है। अब देखना होगा कि महाली इस चुनौती को कैसे लेते हैं और चम्पाई सोरेन के खिलाफ यह मुकाबला कितना रोमांचक होता है।
झारखंड में विधानसभा चुनावों की गूंज के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अपनी चौथी उम्मीदवार सूची गुरुवार देर रात जारी की, जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा सरायकेला सीट को लेकर हो रही है। वर्तमान विधायक चम्पाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद यह सीट राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील हो गई थी। इस पर झामुमो ने भाजपा से आए गणेश महाली को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है।
चम्पाई सोरेन का पाला बदलना: झामुमो के लिए चुनौती
सरायकेला की सीट पर चम्पाई सोरेन वर्तमान विधायक थे, लेकिन हाल ही में उन्होंने झामुमो को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। सोरेन का यह कदम झामुमो के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वे इस क्षेत्र में वर्षों से मजबूत पकड़ बनाए हुए थे। चम्पाई के भाजपा में जाने के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ था कि झामुमो इस सीट पर किसे उतारेगा। कई दिनों तक इस सीट को लेकर सस्पेंस बना रहा, यहां तक कि चर्चा थी कि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या उनकी पत्नी इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
गणेश महाली: झामुमो का सस्पेंस खत्म
झामुमो ने गणेश महाली के नाम की घोषणा कर सारे कयासों को विराम दिया। गणेश महाली पहले भाजपा के नेता थे और उन्होंने पिछले चुनाव में चम्पाई सोरेन को कड़ी टक्कर दी थी। इस बार झामुमो ने महाली को अपनी पार्टी में शामिल कर उन्हें सरायकेला सीट से उम्मीदवार बनाया है। महाली की उम्मीदवारी के बाद यह सीट झामुमो और भाजपा के बीच हाई-वोल्टेज मुकाबले का केंद्र बन गई है।
हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की नजरें इस सीट पर
सरायकेला सीट को लेकर झामुमो के केंद्रीय नेताओं की नजरें खासकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस सीट पर बनी हुई हैं। खुद हेमंत सोरेन ने इस सीट को जीतने के लिए कई रणनीतिक बैठकें की हैं, जबकि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने भी हाल ही में यहां कैंप किया था। यह दिखाता है कि झामुमो इस सीट को किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहता।
चुनावी समीकरण: गणेश महाली बनाम चम्पाई सोरेन
अब सवाल यह है कि क्या गणेश महाली चम्पाई सोरेन को हराने में सफल होंगे? पिछले चुनाव में गणेश महाली भाजपा के टिकट पर चम्पाई सोरेन से हार गए थे, लेकिन उन्होंने सोरेन को कड़ी टक्कर दी थी। इस बार महाली झामुमो के टिकट पर मैदान में हैं, जबकि सोरेन भाजपा के उम्मीदवार हैं। यह मुकाबला काफी दिलचस्प होगा क्योंकि दोनों ही नेता अपने-अपने दलों के मजबूत चेहरे हैं और इस बार यह सीट झामुमो के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है।
खूंटी सीट पर भी बड़ा फैसला
झामुमो ने खूंटी विधानसभा सीट से रामसूर्य मुंडा को उम्मीदवार बनाया है। हालांकि, फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा सरायकेला सीट की हो रही है, क्योंकि यहां के समीकरण राज्य की राजनीति पर गहरा असर डाल सकते हैं।
क्या है जनता का मूड?
चम्पाई सोरेन के भाजपा में जाने से क्षेत्र के मतदाताओं में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इसे सत्ता में बने रहने की सोरेन की राजनीति कह रहे हैं, तो कुछ लोग इसे क्षेत्र के विकास के लिए उठाया गया कदम मानते हैं। वहीं, गणेश महाली के मैदान में उतरने से यहां झामुमो का जोश फिर से बढ़ा है। महाली के पास क्षेत्र की जमीनी समझ है और जनता के बीच उनकी अच्छी छवि भी है, जो झामुमो के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है।
क्या होगा सरायकेला का भविष्य?
सरायकेला विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव न केवल झामुमो और भाजपा के लिए अहम होगा, बल्कि यह तय करेगा कि जनता किसे अपना नेता मानती है—एक अनुभवी चम्पाई सोरेन को या एक नई उम्मीद के रूप में गणेश महाली को। हेमंत सोरेन की रणनीति और महाली की मेहनत इस सीट पर झामुमो की नैया पार लगा सकती है, लेकिन चम्पाई सोरेन का अनुभव और भाजपा का समर्थन उन्हें मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनाता है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरायकेला की जनता किसके पक्ष में फैसला सुनाती है। चुनावी नतीजे राज्य की राजनीति में नए समीकरण स्थापित कर सकते हैं।
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