Jamshedpur Dengue Cases: डेंगू के 417 मरीज, जापानी बुखार का नया खतरा!
पूर्वी सिंहभूम जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 417 पहुंची। जापानी बुखार का भी नया खतरा मंडरा रहा है। जानें विशेषज्ञों ने क्या दी चेतावनी।
जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले में डेंगू और मच्छर जनित बीमारियों ने फिर से अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। शुक्रवार को जिले में डेंगू के 2 और जापानी बुखार के 1 संदिग्ध मरीज सामने आए, जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। तीनों मरीजों का इलाज टीएमएच (टाटा मेन हॉस्पिटल) में चल रहा है।
जिला सर्विलांस विभाग ने इन मरीजों के नमूने संग्रह कर जांच के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज भेज दिए हैं। रिपोर्ट सोमवार तक आने की उम्मीद है।
डेंगू के बढ़ते मामले और अब तक की स्थिति
जिले में इस साल अब तक डेंगू के 417 मरीज सामने आ चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग लगातार सतर्कता बरत रहा है, लेकिन मच्छरों के बढ़ते प्रकोप ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है।
जिला महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. असद ने बताया कि डेंगू के साथ-साथ अब जापानी बुखार का खतरा भी मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि डेंगू के तेज बुखार, शरीर में दर्द और कमजोरी के लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
जापानी बुखार: बच्चों के लिए बड़ा खतरा
जापानी बुखार (Japanese Encephalitis) मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह मच्छरों के माध्यम से फैलता है और यदि समय पर इलाज न मिले, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। सिविल सर्जन डॉ. साहिर पॉल ने बताया कि लोगों को जापानी बुखार को लेकर ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है।
डॉ. पॉल ने कहा, “बच्चों में अचानक तेज बुखार, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जापानी बुखार के मामले अक्सर मानसून और उसके बाद के महीनों में बढ़ते हैं। ऐसे में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।”
मच्छर जनित बीमारियों से बचने के लिए उपाय
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से डेंगू और जापानी बुखार से बचाव के लिए कुछ एहतियाती उपाय अपनाने की अपील की है:
- अपने आसपास पानी जमा न होने दें।
- पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें।
- मच्छरदानी का उपयोग करें।
- बच्चों को शाम के समय घर के अंदर रखें।
- बुखार होने पर तुरंत जांच करवाएं।
डेंगू और जापानी बुखार: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
डेंगू एक वायरल बीमारी है, जिसका पहला प्रकोप 1950 के दशक में दक्षिण पूर्व एशिया और भारत में देखा गया था। वहीं, जापानी बुखार का इतिहास इससे भी पुराना है। यह पहली बार जापान में 1871 में पाया गया, जिससे इसे यह नाम मिला। भारत में यह बीमारी खासकर उत्तर और पूर्वी हिस्सों में ज्यादा देखी जाती है।
जमशेदपुर में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को देखते हुए, स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है। लेकिन शहर में जनसंख्या घनत्व और सफाई की कमी के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ा हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग की अपील और तैयारियां
स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि टीएमएच और अन्य अस्पतालों में डेंगू और जापानी बुखार के मरीजों के लिए विशेष वार्ड तैयार किए गए हैं। साथ ही, मच्छरों के पनपने वाले क्षेत्रों पर फॉगिंग और एंटी-लार्वा स्प्रे अभियान चलाया जा रहा है।
जमशेदपुर में डेंगू के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी और जापानी बुखार के संभावित खतरे ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर दिया है। ऐसे में नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे सावधानी बरतें और किसी भी लक्षण के दिखने पर समय पर जांच कराएं। स्वास्थ्य विभाग की सलाह पर अमल कर हम इन बीमारियों से बच सकते हैं।
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