Jamshedpur Cyber Crime: प्रतिबिंब ऐप की मदद से साइबर ठग गिरफ्तार, कई ठगी के मामले सामने आए

झारखंड के जमशेदपुर में साइबर पुलिस ने प्रतिबिंब ऐप की मदद से एक साइबर अपराधी कैलाश दास को गिरफ्तार किया, जो लोगों से ठगी करता था। जानें पूरी खबर।

Jan 17, 2025 - 16:07
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Jamshedpur Cyber Crime: प्रतिबिंब ऐप की मदद से साइबर ठग गिरफ्तार, कई ठगी के मामले सामने आए
Jamshedpur Cyber Crime: प्रतिबिंब ऐप की मदद से साइबर ठग गिरफ्तार, कई ठगी के मामले सामने आए

झारखंड के जमशेदपुर जिले में साइबर अपराधों पर कड़ी कार्रवाई जारी है। बुधवार को साइबर पुलिस ने तेतुलमारी थाना क्षेत्र से एक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसका नाम कैलाश दास है। कैलाश दास पर आरोप है कि वह खुद को जिओ, गूगल और फोन पे जैसी बड़ी कंपनियों का अधिकारी बताकर लोगों को संदिग्ध लिंक भेजकर ठगी करता था। इस मामले में प्रतिबिंब ऐप की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है, जिसने इस अपराधी को पकड़ने में मदद की।

कैसे पकड़ा गया साइबर ठग?

साइबर पुलिस की टीम ने कैलाश दास को तेतुलमारी थाना क्षेत्र के तिलाटांड़ इलाके से गिरफ्तार किया। इस अपराधी को पकड़ने में प्रतिबिंब ऐप ने अहम भूमिका निभाई। दरअसल, कैलाश दास का नंबर पहले से ही एप पर दर्ज था। एप से ट्रैक करने के बाद पुलिस को उसका स्थान और उसे पकड़ने के लिए संदिग्ध ठिकाने का पता चला। कैलाश दास ने अपने रिश्तेदार के घर पर छिपकर अपने अपराधों को अंजाम दिया था। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए अभियान चलाया और उसे आखिरकार दबोच लिया।

इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी देते हुए साइबर डीएसपी संजीव कुमार ने कहा कि कैलाश दास पहले भी कई साइबर ठगी की घटनाओं में शामिल रहा है। अपराधी के खिलाफ ठगी के पुख्ता सबूत मिले हैं, जिसमें असम के एक व्यक्ति से ठगी करने का मामला भी सामने आया है। इस गिरफ्तारी से पुलिस को बड़ी सफलता मिली है, और यह घटना साइबर अपराधियों के खिलाफ चल रहे अभियान की एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो रही है।

कैसे काम करता था कैलाश दास?

कैलाश दास खुद को विभिन्न नामी कंपनियों का अधिकारी बताकर लोगों से संपर्क करता था। वह उनके मोबाइल या ईमेल पर संदिग्ध लिंक भेजता और लोगों से निजी जानकारी जैसे बैंक डिटेल्स और पासवर्ड प्राप्त कर उन्हें धोखा देता था। कैलाश का मुख्य तरीका यह था कि वह लोगों को विश्वास में लेता था और उन्हें अपनी कंपनी के आधिकारिक लिंक पर क्लिक करने के लिए मजबूर करता था। इसके बाद वह उनका पैसा चोरी कर लेता था।

आरोपी की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधियों का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है और वे नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगने में सफल हो रहे हैं। इस घटना से यह भी पता चलता है कि साइबर ठगी की जालसाजी में सोशल इंजीनियरिंग का अहम रोल है।

साइबर अपराधों के खिलाफ पुलिस की लगातार कार्रवाई

इस गिरफ्तारी से यह साफ हो जाता है कि साइबर पुलिस अपराधियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। साइबर ठगी की घटनाएं झारखंड में तेजी से बढ़ रही हैं और इसे रोकने के लिए पुलिस ने कई आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। प्रतिबिंब ऐप जैसी तकनीकी मदद से साइबर अपराधियों को पकड़ने में सफलता मिल रही है। पुलिस द्वारा की जा रही इस कार्रवाई से साइबर अपराधी अब डरने लगे हैं और यह भविष्य में अन्य अपराधियों को भी रोकने में मददगार साबित होगा।

साइबर सुरक्षा के लिए जागरूकता की जरूरत

साइबर अपराधियों से बचने के लिए यह जरूरी है कि लोग अपनी व्यक्तिगत जानकारी को साझा करने में सतर्क रहें। साइबर पुलिस ने भी आम जनता को चेतावनी दी है कि वे किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें और अपने बैंकिंग डिटेल्स केवल अधिकृत वेबसाइट्स और एप्स में ही डालें।

साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और ऐसे अपराधों से बचने के लिए पुलिस प्रशासन की मदद लेना एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इससे न सिर्फ व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा होगी, बल्कि साइबर अपराधियों की पकड़ भी मजबूत होगी।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।