Hisua Poetry Workshop: साहित्य की शक्ति, नए साल की उमंग, और राष्ट्रवाद की गूंज!
नवादा जिले के हिसुआ में आयोजित काव्य कार्यशाला और कवि सम्मेलन ने राष्ट्रवाद, मानवीय संवेदना और नए साल पर आधारित कविताओं के माध्यम से साहित्य की शक्ति को दर्शाया। जानें इस कार्यक्रम के बारे में।
नवादा जिले के हिसुआ में एक शानदार काव्य कार्यशाला और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें साहित्यिक विचारों और भावनाओं की अनूठी मिसाल पेश की गई। हिन्दी-मगही साहित्यिक मंच "शब्द साधक" द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम ने साहित्यप्रेमियों को एक मंच पर एकत्रित किया, जहां कवियों ने राष्ट्रवाद, मानवीय संवेदना, सौहार्द और नया साल जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी काव्य रचनाओं के जरिए श्रोताओं का मन मोह लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ कवि दीनबंधु की अध्यक्षता और व्यंग्यकार उदय भारती के संचालन में हुई। पांचू गढ़ मंच कार्यालय में आयोजित इस काव्य कार्यशाला में नवादा और हिसुआ के विभिन्न कवियों ने अपनी लेखनी के जरिए समाज के विभिन्न पहलुओं को छुआ। खासकर राष्ट्रवाद और नफरत से सौहार्द की ओर के विषयों पर गहरी बात हुई, जिससे श्रोताओं को एक नई सोच और दृष्टिकोण मिला।
कार्यक्रम में उपस्थित कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देशभक्ति और मानवीय संवेदनाओं का संचार किया। शफीक जानी, दयानंद प्रसाद गुप्ता, नीतेश कूपर, और ओंकार कश्यप जैसे कवियों ने राष्ट्रवाद को अपने काव्य में इस तरह प्रस्तुत किया कि हर श्रोता अपने देश के प्रति एक नई आस्था और गर्व महसूस करने लगा।
नववर्ष के उत्सव के रूप में, व्यंग्यकार उदय भारती और प्रवीण कुमार पंकज ने भी विशेष कविताएं प्रस्तुत की, जिनमें नये साल की खुशियों और संघर्षों को दर्शाया गया। वहीं, दीनबंधु, उत्पल भारद्वाज, गौतम कुमार, रेजा तस्लीम, श्यामसुंदर कुमार, डॉ. प्राणेश कुमार पिंकू, और शत्रुध्न कुमार ने गीत-गजल की प्रस्तुति दी, जिनकी समा बांधने वाली लय ने पूरे कार्यक्रम को एक जीवंत अनुभव बना दिया।
साहित्यिक चर्चा के दौरान डॉ. सुबोध कुमार, प्रो. शिवेंद्र नारायण सिंह, अमरेंद्र पुष्प, और युगल किशोर राम जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने मानवीय संवेदना पर अपनी काव्य रचनाओं से लोगों को सोचने पर मजबूर किया। उनके काव्य पाठ में उन अनकहे भावनाओं की गूंज थी, जो हर इंसान के दिल में होती हैं, पर शब्दों में व्यक्त नहीं हो पातीं।
इस सम्मेलन में संतोष कुमार रूहानी ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया, जिससे वातावरण में एक आध्यात्मिकता की लहर दौड़ गई। इसके अलावा, कई गणमान्य साहित्यकारों और शिक्षकों ने अपने विचार साझा किए, जिसमें वे कवियों को कविता के तत्वों के बारे में महत्वपूर्ण टिप्स देते हुए काव्य लेखन में निपुणता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि, मगही मगध नागरिक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस सिंह ने मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए जन जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने अपने संबोधन में इस आंदोलन में हर साहित्य प्रेमी के योगदान की आवश्यकता को महसूस कराते हुए इसे आगे बढ़ाने का प्रण लिया।
समारोह में मेवालाल शर्मा, उपेंद्र पथिक, कमल किशोर सिंह, शंभु शरण शर्मा, प्रमोद कुमार, नरेश कुमार, रामकरण पासवान, पवन कुमार और अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का समापन जयनारायण प्रसाद द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
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