Hamirpur Journey: चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों की पैदल यात्रा पर निकले तीन दोस्त, न रुके कदम, न टूटी हिम्मत
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के तीन युवक चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर पैदल निकले। 50 दिन की कठिन यात्रा के बावजूद इन युवाओं का हौसला कायम। पढ़ें उनकी प्रेरणादायक कहानी।
हमीरपुर (उत्तर प्रदेश): धार्मिक आस्था और संकल्प की मिसाल पेश करते हुए हमीरपुर जिले के सुमेरपुर गांव के तीन युवा—राहुल गुप्ता, अरुण यादव और अनुभव गुप्ता—चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंगों की पैदल यात्रा पर निकले हैं। यह यात्रा न केवल उनकी आस्था का प्रतीक है, बल्कि आत्मसंयम और इच्छाशक्ति का अद्भुत उदाहरण भी है।
50 दिन और न थकी हिम्मत
तीनों युवाओं ने बताया कि वे अपने घर से 50 दिन पहले इस यात्रा के लिए निकले थे। नेशनल हाइवे पर पैदल चलते हुए उनके पांव में छाले पड़ चुके हैं, लेकिन इन कठिनाइयों के बावजूद उनका उत्साह और आस्था उन्हें आगे बढ़ा रही है।
"हमारे कदम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम चार धाम और सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन नहीं कर लेते," राहुल गुप्ता ने कहा।
रात्रि विश्राम के लिए मंदिर और गुरुद्वारों का सहारा
यात्रा के दौरान रात में रुकने की व्यवस्था के लिए वे मंदिरों और गुरुद्वारों में ठहरते हैं। यह न केवल उनकी यात्रा को सुलभ बनाता है, बल्कि उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा को भी बढ़ाता है।
"मंदिर और गुरुद्वारे हमारी यात्रा का आधार बन गए हैं। यहां हमें भोजन और विश्राम की सुविधा मिल जाती है," अनुभव गुप्ता ने साझा किया।
चार धाम और 12 ज्योतिर्लिंग: यात्रा का महत्व
चार धाम यात्रा—बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री—हिंदू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाती है। वहीं, 12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के प्रमुख स्थलों में आते हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।
इस यात्रा का उद्देश्य न केवल धार्मिक स्थलों के दर्शन करना है, बल्कि आत्मशुद्धि और आध्यात्मिकता की ओर कदम बढ़ाना है।
इतिहास में पैदल यात्राओं का महत्व
भारत में पैदल यात्रा का इतिहास अत्यंत पुराना है। संत और ऋषि मुनि प्राचीन काल में पैदल ही तीर्थयात्रा किया करते थे। यह यात्रा न केवल शारीरिक सहनशक्ति का परीक्षण होती थी, बल्कि आत्मानुभूति का भी साधन होती थी।
आज के दौर में जब वाहन और सुविधाएं उपलब्ध हैं, ऐसे में इन युवाओं का पैदल यात्रा करना एक प्रेरणादायक कदम है।
युवाओं का संदेश
तीनों युवाओं ने इस यात्रा को न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया है।
"यह यात्रा हमें सिखाती है कि धैर्य और संयम से हर मुश्किल पार की जा सकती है। यह न केवल हमारी आस्था को मजबूत करती है, बल्कि जीवन के प्रति एक नई दृष्टि भी प्रदान करती है," अरुण यादव ने कहा।
क्या कहता है स्थानीय समाज
स्थानीय लोग इन युवाओं के साहस और संकल्प की प्रशंसा कर रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसे प्रयास समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं और युवाओं को आस्था और धैर्य का महत्व सिखाते हैं।
आगे का सफर
तीनों युवक अपनी यात्रा के अगले पड़ाव के लिए बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह यात्रा उनके लिए न केवल धार्मिक, बल्कि व्यक्तिगत विकास का भी माध्यम है।
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