Govindpur में Water Crisis: 60,000 की आबादी प्यास से बेहाल, ठप जलापूर्ति से बढ़ी परेशानी
झारखंड के गोविंदपुर में 60,000 लोगों पर मंडरा रहा पानी का संकट। 11 महीने से बकाया भुगतान न होने के कारण जलापूर्ति योजना बंद। जानिए कैसे यह समस्या और गंभीर हो सकती है।
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झारखंड के गोविंदपुर और उसके आस-पास के इलाकों में पानी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। गोविंदपुर जलापूर्ति योजना, जो इन क्षेत्रों के लोगों के लिए जीवनरेखा की तरह थी, अब पूरी तरह से ठप हो चुकी है। लगभग 60,000 लोगों की आबादी इस जल संकट से प्रभावित है।
पानी की आपूर्ति बंद होने की वजह बेहद चिंताजनक है। ठेकेदार एजेंसी GEMENI ENTERPRISE ने जलापूर्ति रोक दी है। कंपनी के संचालक अरुण सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्हें पिछले 11 महीनों से बकाया भुगतान नहीं मिला है। उन्होंने जल आपूर्ति विभाग (PHED) को कई बार पत्र भेजा, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
गांव-गांव में प्यास का हाहाकार
गोविंदपुर, गदरा, सरजमदा, हलूदबानी और परसुडीह जैसे क्षेत्रों के लोग पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। महिलाएं और बच्चे लंबी दूरी तय कर कुएं और हैंडपंप से पानी लाने को मजबूर हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि गर्मियों के शुरुआती दिनों में ही यह स्थिति भयावह है, तो आगे क्या होगा, यह सोचकर डर लगता है।
स्थानीय निवासी संतोष वर्मा कहते हैं, "हमने कभी सोचा नहीं था कि पीने के पानी के लिए इस तरह संघर्ष करना पड़ेगा। सरकार और विभाग की लापरवाही से पूरा इलाका परेशानी झेल रहा है।"
पानी संकट का इतिहास: झारखंड के लिए नई नहीं है यह समस्या
झारखंड में जल संकट कोई नई बात नहीं है। इस राज्य की भौगोलिक स्थिति और खराब जल प्रबंधन ने समय-समय पर यहां के लोगों को प्यासा छोड़ दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की योजनाएं अक्सर फंड की कमी या प्रशासनिक लापरवाही के कारण असफल हो जाती हैं।
2019 में रांची और उसके आस-पास के इलाकों में भी ऐसा ही जल संकट देखने को मिला था। कई योजनाएं कागजों तक सीमित रहीं, और लोग पानी के लिए दर-दर भटकते रहे। गोविंदपुर की यह समस्या भी इसी ढर्रे का नतीजा है।
11 महीने से लंबित भुगतान, ठेकेदार ने ठप की सप्लाई
जल संकट के पीछे सबसे बड़ी वजह ठेकेदार GEMENI ENTERPRISE को समय पर भुगतान न किया जाना है। कंपनी के संचालक अरुण सिंह ने बताया कि वे लगातार विभाग से बकाया राशि की मांग कर रहे थे, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। उनकी कंपनी अब और खर्चा वहन नहीं कर सकती, जिसके कारण मजबूरन जलापूर्ति रोकनी पड़ी।
उन्होंने कहा, "हमने पीएचईडी विभाग को कई बार पत्र लिखा, लेकिन उनकी तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। 11 महीने का बकाया भुगतान हमारे लिए बड़ी समस्या बन चुका है।"
स्थानीय लोगों में बढ़ रहा आक्रोश
पानी की किल्लत ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया है। स्थानीय निवासी इस लापरवाही के लिए सीधे तौर पर सरकार और विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कुछ लोगों ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
गोविंदपुर की निवासी ममता देवी कहती हैं, "हमने कई बार विभाग से संपर्क किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अगर जल्दी कोई समाधान नहीं निकला, तो हमें प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।"
सरकार और विभाग पर सवाल
यह जल संकट सरकार और जलापूर्ति विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। झारखंड जैसे राज्य में, जहां कई इलाकों में पानी का एकमात्र स्रोत पाइपलाइन से होने वाली आपूर्ति है, वहां इस तरह की समस्या लोगों की जिंदगी को और कठिन बना देती है।
आगे की राह: क्या होगा समाधान?
जल संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। जलापूर्ति योजना को चालू करने के लिए बकाया भुगतान जल्द से जल्द करना होगा। साथ ही, सरकार और विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी समस्याएं न हों।
गोविंदपुर के इस जल संकट ने यह साफ कर दिया है कि जल प्रबंधन और प्रशासनिक सुधार की सख्त जरूरत है। अगर समय रहते इसका समाधान नहीं हुआ, तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।
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