ग़ज़ल - 6 - रियाज खान गौहर, भिलाई

खुद गलत रास्तों पे चलाते हो तुम  और इल्ज़ाम हम पे लगाते हो तुम ......

Aug 6, 2024 - 12:06
Aug 6, 2024 - 16:32
ग़ज़ल - 6 - रियाज खान गौहर, भिलाई
ग़ज़ल - 6 - रियाज खान गौहर, भिलाई

ग़ज़ल 

खुद गलत रास्तों पे चलाते हो तुम 
और इल्ज़ाम हम पे लगाते हो तुम 

रंग गिरगिट के जैसा दिखाते हो तुम 
इस तरह रोज़ मुझको सताते हो तुम 

था भरोसा जो तुम पे नही अब रहा 
ग़म ही ग़म दे के मुझको रूलाते हो तुम 

मसलहत कुछ समझ ना सके आज तक 
क्यों किसी को उठाते गिराते हो तुम 

जब से देखा तुम्हे चैन मिलता नहीं 
ख्वाब में रोज़ मेरे जो आते हो तुम 

दावते लब कुशाई न दो अब हमें 
ऊँगलियाँ क्यों हमीं पे उठाते हो तुम 

और इसके सिवा काम कुछ भी नही 
दूरियाँ दिलों में बढ़ाते हो तुम 

किस खता की सज़ा दे रहे हो मुझे 
दिल मिरा क्यों हमेशा जलाते हो तुम 

चुप न हरगिज़ रहेगा ये गौहर कभी 
किस तरह रात को दिन बताते हो तुम 

गज़लकार 
रियाज खान गौहर भिलाई

Chandna Keshri मैं स्नातक हूं, लिखना मेरा शौक है।